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पूर्वांचल की धार्मिक धरोहरों को पर्यटन मानचित्र में लाने को बेकरार योगी सरकार

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल के धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों को विकसित कर इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढावा देने की महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरूआत की है

पूर्वांचल की धार्मिक धरोहरों को पर्यटन मानचित्र में लाने को बेकरार योगी सरकार
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गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल के धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों को विकसित कर इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढावा देने की महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरूआत की है।

राम नगरी अयोध्या में स्थित सरयू नदी के तट पर भगवान राम की 251 फिट ऊंची प्रतिमा के साथ कुशीनगर जिले में 250 फिट ऊंची गौतम बुद्ध की प्रतिमा तथा श्रावती एवं गोरखपुर में शिवावतारी गुरू गोरक्षनाथ से जुडे धार्मिक स्थलों के विकास के लिए शुरू हुयी कार्रवायी से पूर्वांचल में धार्मिक पर्यटन को बढावा मिलेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में 30 करोड रूपये इन महापुरूषों से जुडे स्थलों के जीर्णोध्दार के लिए देने की घोषणा की है जिससे क्षेत्र के लोगों में नयी उम्मीद जगी है।
इस क्षेत्र में गोरखपुर से पडोसी देश नेपाल सीमा से सटे सोनौली तक फोरलेन का निर्माण, कुशीनगर में फोरलेन तथा प्रस्तावित पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से लोगों को आवागमन की सुविधा उपलब्ध होगी और पर्यटन को बढावा मिलेगा।

पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नाथ पंथ की स्थली गुरू गोरखनाथ मंदिर को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर लाया गया है। साथ ही यहां यहां नाथ पंथ से सम्बन्धित म्यूजियम बनाने का प्रस्ताव है और वर्तमान में लगभग 12 करोड की लागत से इसे आकर्षण का केन्द्र बनाया जा रहा है।
इसी प्रकार श्रावस्ती में भी कयी प्रस्तावित कार्यों के बाद तस्बीर बदलने वाली है जहां भी नाथपंथ के कयी महत्वपूर्ण स्थान हैं। इसके अलावा गौतम बुध्द की जन्म स्थली लुम्बनी के विकास के लिए बजट में प्राविधान कर दिया गया है। इस तरह पूर्वांचल को पर्यटन के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पलक पर खडा करने की कार्य योजना से गति मिली।
इस क्षेत्र की धरोहरों में महराजगंज में सोहगीबरवा में मगरमच्दों का बसेरा है जिसे डरजनिया ताल कहते हैं। महराजगंज जिले में स्थित इस ताल को भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विकसित किया जा रहा है।
वन विभाग ने इस ताल के आस पास वाच टावर्स बनाना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि वर्ष 1962 में नारायणी नदी में भीषण बाढ आयी थी जिसकी तीब्र धारा से डरजनिया ताल कुंड बन गया ओर बाढ में बहकर आये मगरमच्छों के सुरक्षा की व्यवस्था की गयी है। वर्तमान में इनकी संख्या लगभग दो हजार बतायी जाती है।

क्षेत्र के कुशीनगर में मैत्रेय परियोजना का क्रियान्यवन भी शुरू हो चुका है। यहां बौध्द सर्किट बनेगा और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके विकास से रोजगार के अवसर सृजित होंगें। रूक-रूक कर चलने वाले मैत्रेय परियोजना मूर्त रूप लेगा तो यहां उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थान, चिकित्सा संस्थान और मेडिकेशन सेन्टर विकसित किये जायेंगे।
दरअसल पूर्वांचल में जैन और बौध्द धर्मों से जुडे धार्मिक स्थलों के अलावा नाथपंथ से जुडे स्थल आजादी के बाद से ही उपेक्षा के शिकार थे और अब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए जो रोड मैप तैयार किया है उससे लोगों को यह आभास हो गया कि क्षेत्र का विकास अब दूर नहीं है।
योगी सरकार ने बडे उद्योगपतियों की इनवेस्टमेंट समिटि का कार्यक्रम आगामी 28 एवं 29 जुलाई को लखनऊ में प्रस्तावित है जिसमें बडे उद्योगपतियों को पूर्वांचल के गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण .गीडा. में पूंजी निवेश के लिए आकर्षित किया जा रहा है और दनके लिए प्रदेश सरकार ने जरूरी सडकें, पानी आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं के विकास पर काम करना शुरू कर रखा है।
क्षेत्र के गोरखपुर से देश के कयी महानगरों के लिए शुरू हुयी हवायी सेवा, सडकों के जाल और रेलमार्गों के विकास से क्षेत्र की तस्वीर बदलेगगी जिससे पर्यटक आयेंगे तो रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
गौरतलब है कि पर्यटन से रोजगार की सम्भावनाओं को जोडते हुए प्रदेश की योगी सरकार ने एक बडी पहल की शुरूआत की है जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोजगार, पर्यटन और निवेश की अपार सम्भावनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा।


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