वर्ष 2019 मध्यप्रदेश में बदलाव संबंधी फैसलों के लिए जाना जाएगा
हनीट्रैप से जुड़े खुलासे भी साल के मध्यान्ह के बाद से मीडिया में छाए रहे।

भोपाल। मध्यप्रदेश में पंद्रह सालों बाद सत्ता में आने वाली कांग्रेस सरकार के बड़े और महत्वपूर्ण फैसलों के अलावा प्राकृतिक आपदा, लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की शिकस्त, फिर महत्वपूर्ण झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत और इन जैसी अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं ने वर्ष 2019 में खूब सुर्खियां बटोरीं।
हनीट्रैप से जुड़े खुलासे भी साल के मध्यान्ह के बाद से मीडिया में छाए रहे। सोशल मीडिया में तो हनीट्रैप से जुड़ी खबरें और घटनाएं जमकर वायरल हुयीं। इस साल राज्य में ग्रीष्मकाल में सूरज के जमकर तपने के बाद मानसून भी खूब मेहरबान रहा और दीपावली के ठीक पहले तक बारिश का क्रम जारी रहा। हालांकि अतिवृष्टि के कारण लाखों किसानों की 50 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली फसलें भी नष्ट हो गयीं। इसकी वजह से अचल संपत्ति को भी नुकसान हुआ और अनेक स्थानों पर जनहानि हुयी।
दरअसल राज्य में भाजपा के पंद्रह सालों के शासन के बाद दिसंबर 2018 में श्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ। कमलनाथ सरकार की मंत्रिपरिषद की पहली बैठक पांच जनवरी 2019 को हुयी, जिसमें कांग्रेस के वचनपत्र के अनुरूप किसानों के ऋण माफ करने के ऐतिहासिक फैसले पर मुहर लगायी गयी। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले किसानों के ऋणमाफी की घोषणा की थी और माना जाता है कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी इसी महत्वपूर्ण घोषणा के कारण हुयी।
नयी सरकार के गठन के बाद वर्ष 2019 की शुरूआत में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता कांग्रेस सरकार पर काफी हमलावर नजर आए, लेकिन साल के अंत तक इनके तेवर पहले की तुलना में काफी कम हो गए। शुरूआत में भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सरकार को प्रत्येक निर्णय पर काफी आक्रामक अंदाज में घेरा। खासतौर से किसान ऋणमाफी को लेकर। मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के पहले तक कांग्रेस सरकार ने जहां 20 लाख से अधिक किसानों के कर्जमाफ करने का दावा किया, तो भाजपा ने आरोप लगाते हुए कहा कि किसानों के दो लाख रुपयों तक के कर्ज माफ करने की बात कांग्रेस ने की थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।
भाजपा के आरोपों से बेपरवाह नजर आने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जहां वचनपत्र में दिए गए वचनों काे अमल में लाने के लिए काम शुरू करने के साथ ही प्रशासनिक कसावट जैसे कार्यों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, तो कांग्रेस नेताओं ने आक्रामक रुख अपनाते हुए भाजपा के आरोपों का सप्रमाण जवाब देने की जिम्मेदारी का निर्वहन किया। इस बीच कमलनाथ सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को भी वचनपत्र के अनुरूप बड़ी राहत दी। सरकार ने एक सौ यूनिट तक बिजली खपत वाले उपभोक्ताओं का बिल अधिकतम एक सौ रूपया कर दिया। इसके बाद डेढ़ सौ यूनिट तक बिजली उपभोक्ताओं को भी राहत दी।
वर्ष 2019 में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इंदौर और भोपाल में मेट्रो रेल परियोजना का शिलान्यास किया। इन दोनों परियोजनाओं को लेकर जमीन पर कार्य भी शुरू हो गया है। उम्मीद है कि अगले चार पांच सालों में मेट्रो ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगेगी।
वर्ष के दौरान सरकार ने कृषि उपभोक्ताओं को अनेक राहत प्रदान कीं, तो वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण संबंधी प्रावधान किया गया। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को भी मंजूरी दी गयी। सरकार ने देश में आर्थिक मंदी के बावजूद राज्य में इसका प्रभाव समाप्त करने के उद्देश्य से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने संबंधी अनेक निर्णय लिए। इसी के तहत रीयल ईस्टेट के क्षेत्र में अनेक रियायताओं की घोषणा की गयी।
छोटे व्यापारियों के लिए गुमाश्ता संबंधी नियमों में राहत प्रदान की गयी। सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी योजनाओं की पेंशन राशियों में भी इजाफा किया गया। हालांकि राज्य कोषालय के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए रेत नीति, खनन नीति और आबकारी नीति में भी परिवर्तन किया गया। सरकार ने आदिवासियों से संबंधित योजनाओं पर जोर देने के साथ औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए। और साल के अंत में 17 दिसंबर 2019 को जब मुख्यमंत्री के रूप में श्री कमलनाथ ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा किया, तो उन्होंने दावा किया कि एक साल में उनकी सरकार ने 365 वचन पूरे कर दिए हैं। उनकी सरकार शेष वचनों पर भी कार्य कर रही है।
राज्य में नयी सरकार आने के बाद मैदानी अमले से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के तबादले भी जमकर हुए। विपक्ष ने कटाक्ष करते हुए इसे 'तबादला उद्योग' तक नाम दे दिया। वहीं सरकार ने तबादलों को उचित बताते हुए कहा कि पंद्रह वर्षाें से बिगड़ी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए यह आवश्यक है। वर्ष के दौरान राज्य की कांग्रेस सरकार ने विपक्षी दल भाजपा को उस समय करारा झटका दिया, जब विधानसभा में एक विधेयक पर मतदान के दौरान भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कौल ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।
दरअसल शुरूआत में भाजपा के जिम्मेदार नेता कांग्रेस सरकार को अल्पमत की बताते हुए थकते नहीं थे। वहीं मुख्यमंत्री भी कह चुके थे कि सरकार ने विधानसभा में बहुमत एक नहीं, तीन चार बार साबित कर दिया है। आखिरकार मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के रणनीतिकारों ने भाजपा के दो विधायकों को कांग्रेस के पक्ष में वोट कराके तगड़ा संदेश देने का प्रयास किया।
राज्य में इस वर्ष मई माह में संपन्न लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा, जब 29 लोकसभा सीटों में से 28 पर उसे करारी पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस मात्र अपने गढ़ छिंदवाड़ा में परचम लहरा सकी, जहां कांग्रेस उम्मीदवार और मुख्यमंत्री के पुत्र नकुलनाथ ने पहली बार विजय दर्ज कराते हुए लोकसभा में पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया। लोकसभा चुनाव के साथ ही छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव भी हुआ, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विजय पताका फहराते हुए विधानसभा की सदस्यता ग्रहण की।
लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव, विवेक तन्खा और अन्य को भी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। हालांकि कुछ माह बाद झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने विजय दर्ज कराके सदन में अपने सदस्यों की संख्या भी बढ़ा ली और उसे काफी हद तक संतोष मिला।
मौजूदा कांग्रेस सरकार को बसपा के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय विधायक भी समर्थन दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव में चूंकि कांग्रेस को अपने बूते पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, इसलिए इन सात विधायकों का समर्थन हासिल करने वाली सरकार ने शुरूआत में काफी सतर्कता के साथ कदम उठाए। इस बीच बसपा की चर्चित विधायक रामबाई सिंह अपने बयानों और क्रियाकलापों से अक्सर सरकार को परेशानी में डालती रहीं।
दिसंबर माह के अंत में रामबाई सिंह ने बहुचर्चित नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर नया बखेड़ा शुरू कर दिया और इसके तत्काल बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने पार्टीलाइन से हटकर बयान देने पर रामबाई सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। विधायक के पार्टी कार्यक्रमों में शिरकत करने पर भी रोक लगा दी गयी है।
इस साल के मध्यान्ह के बाद इंदौर की पुलिस ने नगर निगम के एक अधिकारी की शिकायत पर भोपाल से पांच युवतियों और एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर बहुचर्चित हनीट्रैप प्रकरण का खुलासा किया। पुलिस ने श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वपनिल जैन, बरखा, आरती दयाल और मोनिका यादव के अलावा एक व्यक्ति (कार चालक) को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया।
आरोप है कि इन महिलाओं ने अपने सौंदर्यजाल में अनेक प्रभावी लोगों को फांस कर उनके आपत्तिजनक वीडियाे बना लिए। इसके बाद सत्ता से जुड़े इन लोगों को ब्लैकमेल किया गया और मनमाफिक कार्य कराए गए। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इंदौर नगर निगम के एक अधिकारी का भी वीडियो बनाकर उससे दो करोड़ रुपयों की मांग की जा रही थी। अधिकारी पुलिस के पास पहुंच गया और पुलिस ने जाल बिछाकर सबसे पहले आरती दयाल, मोनिका और कारचालक को गिरफ्तार किया। इसके बाद अन्य आरोपियों को भी तत्काल पकड़कर उनके कब्जे से नगदी, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में कैद प्रमुख लोगों के आपत्तिजनक वीडियो जब्त किए गए।
इस मामले के खुलासे के बाद राजनैतिक तापमान अचानक बढ़ गया और मीडिया में इससे संबंधित खबरों की बाढ़ आ गयी। कुछ वीडियो और ऑडियो मीडिया में लीक होने पर अनेक सफेदपोश बेनकाब होने लगे। इसके बाद इंदौर निवासी एक अखबार मालिक और व्यवसायी जीतू सोनी के खिलाफ प्रशासन ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। उसके पुत्र और एक कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके ठिकानों (होटल आदि) पर छापों के दौरान 60 से अधिक लड़कियों को मुक्त कराया गया। उसके ठिकानों से संपत्ति संबंधी अनेक दस्तावेज मिले, जो अन्य लोगों की थीं।
जीतू सोनी पर देखते ही देखते तीन दर्जन से अधिक प्रकरण दर्ज हो गए और पुलिस इनामी जीतू सोनी को तलाश रही है। इस बीच प्रशासन ने इंदौर में उसकी होटल और अवैध रूप से बने भवनों आदि को धराशायी कर दिया। उसके नजदीकी लोगों पर भी शिकंजा कसा गया। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूरे प्रदेश में माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए प्रशासन को फ्री हैंड दे दिया। प्रशासनिक अमले ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और अन्य स्थानों पर गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त लोगों की सूचियां तैयार कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की, जो नए वर्ष में भी जारी रहने की संभावना है।
वर्ष 2019 के दौरान दिसंबर माह में ही मुरैना जिले के जौरा से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के कारण पार्टी शोक में डूब गयी। इसी साल राज्य को दो पूर्व मुख्यमंत्रियों बाबूलाल गौर और कैलाश जोशी को भी खोना पड़ा। वृद्धावस्था के चलते दोनों का निधन हो गया।
साल के जाते जाते नागरिकता संशोधन कानून का विरोध भोपाल और कुछ अन्य स्थानों पर हुआ, हालांकि पुलिस प्रशासन की सजगता और ऐहतियात के कारण पूरे राज्य में शांति बनी रही। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने स्वयं भी कांग्रेस के बैनर तले इसके विरोध में आयोजित शांति मार्च में हिस्सा लिया। इस वर्ष पुलिस प्रशासन को बार बार अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा। पहले लोकसभा चुनाव, फिर अनुच्छेद 370 हटाने, अयोध्या मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले और अन्य संवेदनशील मसलों के दौरान भी राज्य में पुलिस प्रशासन को ऐहतियाती कदम उठाने पड़े। हालाकि पुलिस अपने कार्य में पूरी तरह सफल रही।
राज्य में खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने इस वर्ष अनेक उपलब्धियां अपने नाम कीं। राज्य की शूटिंग अकादमी के दो खिलाड़ियों ने इस बार बेहतर प्रदर्शन कर देश के लिए ओलंपिक कोटा दिलाया। विभाग की अन्य अकादमियों के खिलाड़ियों ने भी विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन के जरिए पदक हासिल किए।
हालाकि राज्य के चार हॉकी खिलाड़ियों को इस साल होशंगाबाद के पास सड़क हादसे में खोना पड़ा। खिलाड़ियों की कार सड़क किनारे एक पेड़ से टकरा गयी, जिसके चलते आशीष लाल, अनिकेत वरुण, शाहनवाज हुसैन और आदर्श की मौत हो गयी। इनकी उम्र 18 से 22 वर्ष के बीच थी और ये कार से एक टूर्नामेंट खेलने होशंगाबाद जा रहे थे। वर्ष के दौरान राज्य में अनेक सड़क दुर्घटनाएं भी घटित हुयीं।


