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खेतों में तैयार रबी की फसल पर मौसम की टेढ़ी नजर

भारतीय मौसम विभाग ने रबी के सीजन में कटाई के दौर में बिना मौसम के बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की संभावना जताई है. अगर ऐसा होता है तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

खेतों में तैयार रबी की फसल पर मौसम की टेढ़ी नजर
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उद्योग और मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि सर्दियों में बोई जाने वाली प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, सरसों और मटर की तैयार फैसल को कटाई शुरू होने से ठीक पहले नुकसान पहुंचा सकती है.

भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि मध्य, उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में प्रमुख उत्पादक राज्यों में अगले 10 दिनों में अधिक बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है. अगर बेमौसम बरसात होती है तो इससे उत्पादन पर असर पड़ सकता है और खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिसे सरकार और केंद्रीय बैंक नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं.

पहले से ही महंगाई की चिंता

गेहूं के उत्पादन में गिरावट से सरकार के लिए इन्वेंट्री को फिर से भरना मुश्किल हो सकता है, जबकि सरसों का कम उत्पादन दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल खरीदार को पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी के तेल के आयात को बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकता है.

आईएलए कमोडिटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हरीश गलिपेल्ली ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "बारिश और ओलावृष्टि चिंता बढ़ा रही है, क्योंकि सर्दियों की फसलों की कटाई अभी शुरू हुई है. खड़ी फसलें प्रभावित होंगी और इससे उत्पादन कम हो सकता है."

किसान आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में गेहूं, सरसों और मटर की बुवाई शुरू करते हैं और फरवरी के अंत से उनकी कटाई करते हैं, ऐसे में बदलते मौसम ने उन्हें चिंता में डाल दिया है.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि अगले कुछ दिनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 30 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं और ओलावृष्टि हो सकती हैं.

बढ़ता तापमान कर रहा फसलों को प्रभावित

सबसे बड़े सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान के किसान रामराय बोहारा ने कहा कि सामान्य से अधिक तापमान और जल्दी पकने के कारण सर्दियों में बोई जाने वाली फसलें पहले से ही दबाव में हैं. साल 2021-22 के दौरान राजस्थान के 33.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती की गई थी.

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में कुछ गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया, जो सामान्य से लगभग सात डिग्री सेल्सियस अधिक है.

बोहारा ने कहा, "हम दो-तीन सप्ताह तक बारिश और तेज हवाओं वाला मौसम नहीं चाहते हैं. फसलें गिर जाएंगी और कटाई मुश्किल हो जाएगी." मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा कि बारिश से न केवल पैदावार कम होगी बल्कि फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है.


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