भूख से मर गई संतोषी के परिजनों पर ग्रामीणों का हमला, समान फेंके
झारखंड के सिमडेगा जिले में जलडेगा प्रखंड के कारिमाटी गांव में भात-भात रटते हुये भूख से मर गई संतोषी के परिजनों पर ग्रामीणों ने हमला कर उनका समान फेंक दिया

सिमडेगा। झारखंड के सिमडेगा जिले में जलडेगा प्रखंड के कारिमाटी गांव में भात-भात रटते हुये भूख से मर गई संतोषी के परिजनों पर ग्रामीणों ने हमला कर उनका समान फेंक दिया, जिससे उन्हें पंचायत भवन में शरण लेनी पड़ी।
पुलिस सूत्रों ने आज यहां बताया कि महिला एवं बच्चे समेत गांव के करीब 40 लोग कर देर रात संतोषी के घर पहुंचे और उनके परिजनों का सामान बाहर फेंक दिया। इस कारण आज सुबह उन्हें पंचायत भवन में शरण लेनी पड़ी। वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि इस घटना से उनके गांव की बदनामी हुई है। लोगों के यहां आने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है जिससे उन्हें काफी कठिनाई हो रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब कल रात वे संतोषी के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उसके परिजन मुर्गा पका रहे हैं। राज्य सरकार ने मुआवजे में जो 50 हजार रुपये दिये हैं उससे वह मुर्गा खा रहे हैं। उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने इस घटना की जांच करने का आदेश दिया।
इस पर प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय काेंगरी मौके पर पहुंचकर संतोषी के परिजनों को सुरक्षित उनके घर लेकर आये।
उन्होंने कहा कि इस मामले में संलिप्त ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
उल्लेखनीय है कि संतोषी की मां कोयली देवी ने आरोप लगाया है कि उनका राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं होने के कारण डीलर ने पिछले आठ महीने से जन वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाला अनाज नहीं दिया, जिससे उनकी बेठी संतोषी 28 सितंबर को भात-भात रटते हुये भूख से मर गई।
इस पर मुख्यमंत्री रघुवर दास के जिला प्रशासन से जवाब मांगने पर उपायुक्त ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि बच्ची की मौत मलेरिया से हुई है।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने संतोषी के परिजनों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने के साथ ही पुन: मामले की जांच कर 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
इसके बाद केंद्रीय उपभोक्ता मामले एवं खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने मामले को गंभीरता लेते हुये मामले की जांच का आदेश दिया।
इसके लिए केंद्रीय टीम सिमडेगा भेजी गई।


