Top
Begin typing your search above and press return to search.

भाजपा का अलोकतांत्रिक चेहरा

2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर नरेन्द्र मोदी झारखंड के हजारीबाग में 'प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान' की शुरुआत करने जा रहे हैं

भाजपा का अलोकतांत्रिक चेहरा
X

2 अक्टूबर गांधी जयंती के मौके पर नरेन्द्र मोदी झारखंड के हजारीबाग में 'प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान' की शुरुआत करने जा रहे हैं। झारखंड में जल्द चुनाव होने वाले हैं तो नरेन्द्र मोदी का यहां होना लाजिमी है। इस आदिवासी बहुल राज्य में फिर से भाजपा की सरकार बन जाए, इसके लिए श्री मोदी पूरा जोर लगा रहे हैं। झारखंड में करोड़ों की परियोजनाएं शुरु करके श्री मोदी संभवत: ये दावा फिर से करेंगे कि भाजपा किस कदर आदिवासियों की हितैषी है। उसे जल, जंगल, जमीन के संरक्षण की कितनी चिंता है। लेकिन इसी चिंता के साथ जब लद्दाख से दिल्ली तक करीब 700 किमी की पदयात्रा करके लद्दाखी जनता दिल्ली पहुंचती है, तो नरेन्द्र मोदी की सरकार उनकी चिंता को सुनने से पहले ही उन्हें गिरफ्तार करवा देती है। इसी से भाजपा का लोकतंत्र के लिए दुचित्तापन जाहिर हो जाता है।

गौरतलब है कि शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर सोनम वांगचुक करीब डेढ़ सौ लोगों के साथ 1 सितंबर को लद्दाख से पदयात्रा पर निकले थे और तय समय पर गांधी जयंती के पहले दिल्ली पहुंच गए। लेकिन इन तमाम पदयात्रियों को दिल्ली सीमा पर ही रोक दिया गया और इसके बाद गिरफ्तार भी कर लिया गया। सोनम वांगचुक ने इस की जानकारी देते हुए सोमवार को एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, 'दिल्ली बॉर्डर पर 150 पदयात्रियों के साथ मुझे हिरासत में लिया जा रहा है। इसके लिए 100 पुलिस वाले हैं। कु छ का कहना है कि ये 1000 हैं। पदयात्रियों में 80 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्ग भी हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। इसके साथ कुछ दर्जन सेना से रिटायर्ड लोग भी हैं। आगे क्या होगा, कुछ पता नहीं है। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक सबसे शांतिपूर्ण मार्च पर थे।'

दरअसल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 वापस लेने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से लद्दाख के लोगों में भाजपा के फैसले पर नाराजगी देखी जा रही है। यहां के लोग फिर से राज्य का दर्जा वापस चाहते हैं। इसके अलावा लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना भी एक अहम मांग है, जो स्थानीय आबादी को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करेगा। लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग भी लद्दाखी जनता की है।

लद्दाख की जनता ने ऐसा कुछ नहीं मांगा है, जो असंभाव्य है या गैरकानूनी है। लोकतांत्रिक देश में जनता को अपनी मांगे उठाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन करने का हक है, साथ ही सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी कानून के दायरे में रहकर किया जा सकता है। सोनम वांगचुक और उनके साथी अपने इन्हीं लोकतांत्रिक अधिकारों का ही इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन नरेन्द्र मोदी को लोकतंत्र और जनता को मिले अधिकारों से इतना डर लगता है कि उनके कार्यकाल में बार-बार शांतिपूर्ण आंदोलनों को कुचलने की कोशिश हुई है। शाहीन बाग आंदोलन, किसान आंदोलन, महिला पहलवानों का विरोध ये सब पिछले चार-पांच सालों की ही घटनाएं हैं, जिनमें मोदी सरकार का अलोकतांत्रिक रवैया सामने आया है। इसी कड़ी में अब सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को भी देखा जा सकता है।

शायद लद्दाखी जनता के विरोध का ही डर था कि दिल्ली पुलिस ने 6 दिन के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 को लागू कर दिया है। पुलिस के मुताबिक नई दिल्ली, सेंट्रल दिल्ली, नॉर्थ दिल्ली के अलावा दिल्ली की सभी सीमाओं पर ये धारा लागू की गई है और पांच अक्टूबर तक इन जगहों पर धरना प्रदर्शन पर पाबंदी रहेगी।
बड़ी अजीब बात है कि पांच अक्टूबर को ही दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा में चुनाव हैं और तब तक दिल्ली की सीमाओं और दिल्ली के भीतर कानून और व्यवस्था के मुद्दों का हवाला देते हुए पांच या अधिक व्यक्तियों के इकठ्ठा होने, बैनर, तख्तियां और हथियार रखने वाले लोगों या मध्य भाग और सीमावर्ती इलाकों में विरोध प्रदर्शन पर पुलिस ने प्रतिबंध लगा दिया है।

सवाल यह है कि आखिर मोदी सरकार को किन लोगों के विरोध से डर लग रहा है और क्यों सरकार को अपनी ही पुलिस की क्षमता पर भरोसा नहीं है कि वह निहत्थे, शांतिपूर्ण आंदोलन पर निकले लोगों को संभाल नहीं पाएगी। क्या इसी लिए सोनम वांगचुक के साथ-साथ उनके साथ चल रहे वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं तक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी जब सोनम वांगचुक से मिलने बवाना पुलिस थाने पहुंची तो उन्हें भी मिलने नहीं दिया गया। मंगलवार सुबह लद्दाख सांसद हाजी हनीफा वांगचुक के प्रदर्शन से जुड़ने के लिए पहुंचे तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें और उनके समर्थकों को भी हिरासत में लेकर नरेला पुलिस स्टेशन भेज दिया।

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक खबर है कि सोनम वांगचुक ने इस दमनकारी रवैये के खिलाफ अनशन भी शुरु कर दिया है। इस बीच कांग्रेस, आप, सपा जैसे गैरभाजपाई दलों के नेताओं ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर मोदी सरकार की आलोचना की है। राहुल गांधी ने लिखा है कि जिस तरह कृषि कानूनों पर सरकार का चक्रव्यूह और नरेन्द्र मोदी का अहंकार टूटा, इस बार भी वैसा ही होगा। लद्दाख की जनता की आवाज सुननी ही पड़ेगी, वहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताते हुए लिखा कि मोदी सरकार अपने करीबी मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए लद्दाख के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र का दोहन करना चाहती है।' श्री खड़गे का कहना है कि यह घटना हमें बताती है कि मोदी सरकार की निरंकुशता के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

अगर नरेन्द्र मोदी डेढ़ सौ लोगों के विरोध मार्च का सामना करने की हिम्मत दिखाते और सोनम वांगचुक को राजघाट तक जाने से नहीं रोकते, तो भाजपा को इस तरह के आरोपों का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन जम्मू-कश्मीर में तीसरे दौर के मतदान और हरियाणा चुनाव से ऐन पहले इस दमनकारी कदम से शायद भाजपा ने अपना नुकसान कर लिया है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it