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एमपॉक्स को यूएन ने घोषित किया ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी

मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे ऊंचे स्तर की चेतावनी जारी की है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और तीन अन्य देशों में आपातकाल की घोषणा की गई है

एमपॉक्स को यूएन ने घोषित किया ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
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मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे ऊंचे स्तर की चेतावनी जारी की है. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और तीन अन्य देशों में आपातकाल की घोषणा की गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को अफ्रीका में मंकीपॉक्स के तेजी से फैलने के कारण वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया, और चेतावनी दी कि वायरस अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर सकता है. यह घोषणा डब्ल्यूएचओ के निदेशक जनरल तेद्रोस अधानोम गैब्रेयेसुस ने यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की आपातकालीन समिति की बैठक के बाद की.

अफ्रीकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने मंगलवार को महाद्वीप में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था. संगठन के अनुसार, इस साल अफ्रीका में मंकीपॉक्स के 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल के आंकड़ों से ज्यादा हैं.

अब तक, 96 फीसदी से अधिक मामले और मौतें सिर्फ कांगो में ही हुई हैं. वैज्ञानिकों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि कांगो में एक नए प्रकार का मंकीपॉक्स फैल रहा है जो अधिक आसानी से फैल सकता है.

मंकीपॉक्स क्या है?

एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. 2022 में ब्राजील में इसके कारण दर्जनों बंदरों को कत्ल कर दिया गया क्योंकि लोगों में अफवाह थी कि यह वायरस बंदरों के कारण फैल रहा है.

इस वायरस को पहली बार 1958 में तब पहचाना गया जब बंदरों में एक "चेचक जैसा" रोग फैल रहा था. हाल के सालों तक अधिकांश मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उन लोगों में पाए जाते थे जो संक्रमित जानवरों के संपर्क में आते थे.

2022 में, एमपॉक्स वायरस के यौन संपर्क के माध्यम से फैलने की पुष्टि की गई और 70 से ज्यादा देशों में इसका प्रकोप हुआ. इनमें बहुत से ऐसे देश थे जिनमें पहले एमपॉक्स के मामले नहीं देखे गए थे. एमपॉक्स, चेचक के समान वायरस परिवार का है लेकिन इसके लक्षण उतने गंभीर नहीं होते. इसके लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और शरीर में दर्द शामिल हैं. गंभीर मामलों में चेहरे, हाथों, छाती और जननांगों पर घाव हो सकते हैं. 2022 में भारत में भी इसके कई मामले मिले थे.

अफ्रीका में क्या हो रहा है?

एमपॉक्स के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है. पिछले सप्ताह, अफ्रीकी सीडीसी ने रिपोर्ट किया कि एमपॉक्स अब कम से कम 13 अफ्रीकी देशों में पाया गया है. पिछले साल की समान अवधि की तुलना में, मामलों में 160 प्रतिशत और मौतों में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है.

वैज्ञानिकों ने इस साल की शुरुआत में कांगो के एक खनन कस्बे में एमपॉक्स के एक नए रूप की पहचान की, जो 10 प्रतिशत लोगों को मार सकता है और अधिक आसानी से फैल सकता है. नए रूप के लक्षण हल्के होते हैं और यह जननांगों पर घाव पैदा करता है. इससे पहचान मुश्किल हो जाती है और लोग बिना जाने दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.

DW फैक्ट चेकः मंकीपॉक्स के बारे में फैल रही गलत जानकारियों का सच

डब्ल्यूएचओ के अनुसार एमपॉक्स हाल ही में पूर्वी अफ्रीका के चार देशों - बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा - में पहली बार पहचाना गया है. ये सभी प्रकोप कांगो में फैली महामारी से जुड़े हैं.

डब्ल्यूएचओ की आपातकाल की घोषणा का उद्देश्य दान एजेंसियों और देशों को कार्रवाई के लिए प्रेरित करना है. हालांकि, पिछले आपातकालों पर वैश्विक प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है. अफ्रीकी सीडीसी के निदेशक जनरल डॉ. ज्यां कासेया ने कहा कि उनकी एजेंसी की आपातकाल की घोषणा का उद्देश्य "संस्थाओं, सामूहिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को त्वरित और निर्णायक रूप से कार्रवाई के लिए जुटाना" है.

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर माइकल मार्क्स ने कहा कि अगर आपातकाल की घोषणा इस तरह के प्रयासों को प्रेरित करने का एक तरीका है, तो यह सही है.

2022 से क्या अलग है?

2022 के वैश्विक प्रकोप के दौरान, अधिकांश मामले समलैंगिक और उभयलिंगी पुरुषों में थे और वायरस मुख्य रूप से करीबी संपर्क के माध्यम से फैल रहा था. इससे यह भ्रम भी हुआ कि यह रोग सिर्फ सेक्स के कारण फैलता है. हालांकि अफ्रीका में कुछ समान मामले देखे गए हैं. लेकिन कांगो में अब 15 साल से कम उम्र के बच्चे 70 फीसदी मामलों और 85 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं.

डॉ. तेद्रोस ने कहा कि अधिकारियों को विभिन्न देशों में एमपॉक्स के प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें "संक्रमण के विभिन्न तरीके और जोखिम स्तर" शामिल हैं.

2022 में, कई देशों में एमपॉक्स के प्रकोप को टीकों और उपचारों के उपयोग से नियंत्रित किया गया था, लेकिन अफ्रीका में टीकों और उपचारों की उपलब्धता बहुत सीमित है.

प्रोफेसर मार्क्स ने कहा कि टीकाकरण मददगार साबित हो सकता है. इसमें चेचक के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन भी शामिल है. कांगो में दानदाताओं के साथ संभावित टीका दान के बारे में बातचीत की जा रही है और ब्रिटेन और अमेरिका से कुछ वित्तीय सहायता भेजी गई है. डब्ल्यूएचओ ने अफ्रीका में एमपॉक्स की प्रतिक्रिया के लिए अपने आपातकालीन फंड से 14.5 लाख डॉलर जारी किए हैं, लेकिन प्रतिक्रिया के लिए प्रारंभिक डेढ़ करोड़ की आवश्यकता है.


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