महबूबा की रिहाई के लिए संघर्ष जारी रहेगा : इल्तिजा
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पुत्री इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाते हुए कहा है कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उच्चतम न्यायालय में उनकी मां के बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले को लंबा घसीटा जा रहा है

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पुत्री इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाते हुए कहा है कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उच्चतम न्यायालय में उनकी मां के बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले को लंबा घसीटा जा रहा है लेकिन इन सबके बावजूद उनकी रिहाई के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
अपनी मां के ट्विटर हैंडल को देखने वाली सुश्री इल्तिजा ने ट्वीट कर कहा,“ इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सुश्री मुफ्ती की कैद को अंतहीन रूप से घसीटा जा रहा है। अनुच्छेद 370 को हटाये जाने जैसा एक गंभीर मामला एक साल से अधिक समय से लंबित है, इसलिए कोई मदद भी नहीं कर सकता, लेकिन वह निराश महसूस करता है।”
उन्होंने कहा, “ तमाम बातों के बावजूद, मैं उनकी (सुश्री मुफ्ती) की रिहाई के लिए लड़ती रहूंगी।”
इस बीच, सुश्री इल्तिजा ने कहा कि गुप्कर घोषणा से जुड़ी पार्टियों को आगे बढ़ने के अगले कदम पर विचार-विमर्श करना चाहिए।
सुश्री इल्तिजा ने कहा, “ शायद कोई देख सकता है कि लेह के लोगों ने कैसे एकजुटता दिखाई और अदालतों पर निर्भर रहने के बजाय एकजुट हुए।”
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “ परिणाम स्पष्ट है। गृह मंत्री ने तत्काल एक लेह प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया और उनकी मांगें पूरी करने का वादा किया। कोई गलती मत करो, हमारे विशेष दर्जे और प्रतिष्ठा के लिए एक राजनीतिक लड़ाई होनी है।”
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई की मांग को लेकर सुश्री इल्तिजा की अपील के संदर्भ में केंद्र शासित प्रशासन को अपना रूख स्पष्ट करने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुश्री इल्तिजा के अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन की ओर से प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनसे अपना अनुरोध संबंधित प्रशासन के समक्ष रखने को कहा। न्यायालय ने केंद्र से यह भी जानना चाहा कि किसी व्यक्ति को हिरासत में रखे जाने की अधिकतम अवधि क्या है तथा सुश्री महबूबा मुफ्ती को लगातार हिरासत में रखे जाने का औचित्य क्या है।
शीर्ष अदालत ने महाधिवक्ता तुषार मेहता से कहा, “आपको इन दो आधारों पर भी अपना पक्ष रखना चाहिए।”
अगली सुनवाई की तिथि 15 अक्टूबर मुकर्रर की गयी है।


