Top
Begin typing your search above and press return to search.

मुंबई के 26/11 के हमले की कहानी, बहादुर नर्स ने बताई अपनी जुबानी

20 गर्भवती महिलाओं व उनके अजन्मे बच्चों की रक्षा करने वाली बहादुर नर्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष आतंकवाद की भयावहता और इसके प्रभाव की कहानी बताई।

मुंबई के 26/11 के हमले की कहानी, बहादुर नर्स ने बताई अपनी जुबानी
X

संयुक्त राष्ट्र, 16 दिसंबर : मुंबई में 26/11 के हमले में अस्पताल में आतंकवादियों का सामना कर 20 गर्भवती महिलाओं व उनके अजन्मे बच्चों की रक्षा करने वाली बहादुर नर्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष आतंकवाद की भयावहता और इसके प्रभाव की कहानी बताई।

मुंबई से एक वीडियो लिंक के माध्यम से बोलते हुए नर्स अंजलि विजय कुलथे ने कहा कि वह पीड़ितों के परिवारों और आतंकवादी हमलों में बचे लोगों के आघात और दुख को समझती हैं।

काउंटर टेरेरिज्म पर काउंसिल की बैठक में अंजलि ने कहा, मैं आज भी आतंकवादी हमलों की रात को याद करते हुए कांप जाती हूं, जब वे कीड़ों की तरह इंसानों को मार रहे थे।

अंजलि के हिंदी में दिए गए व्यक्तव्य का संयुक्त राष्ट्र की पांच भाषाओं में अनुवाद किया गया।

ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास मामलों के राज्य मंत्री तारिक अहमद ने अपने भाषण के बीच में हिंदी में कहा, आतंकवाद के खिलाफ उनकी बहादुरी और साहस के लिए हम सब की तरफ से अंजलि जी को बहुत-बहुत धन्यवाद।

कामा और अल्बलेस अस्पताल में नसिर्ंग अधिकारी कुलथे उस समय ड्यूटी पर थीं, जब शहर में घुसे पाकिस्तानी आतंकवादी अस्पताल में दाखिल हुए।

उन्होंने बताया कि दो आतंकवादियों की गोलियों से उनका एक सहायक घायल हो गया और वह उसे इलाज के लिए भूतल पर स्थित वार्ड में ले गईं।

जब वह पहली मंजिल पर अपने नवजात वार्ड में लौट रहीं थीं, तो उसने दो आतंकवादियों को दो सुरक्षा गाडरें को नीचे गिराकर मारते देखा। उसने अपने सेक्शन में लोहे के दरवाजे को बंद कर लिया और मरीजों को सुरक्षा के लिए पेंट्री में ले गईं।

कुलथे ने कहा कि दरवाजा बंद करने के दौरान उन्होंने दो आतंकवादियों को दूसरी मंजिल पर भागते हुए देखा और उन्होंने ग्रेनेड फटने के साथ लगातार गोलियों की आवाज सुनी।

इसी दौरान तनाव के कारण रक्तचाप बढ़ने से एक मरीज को प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन डॉक्टर उपचार के लिए आ नहीं सके। इससे वह डर गई।

कुलथे कहा, अचानक मेरी वर्दी ने मुझे हिम्मत दी, और नसिर्ंग के लिए मेरे जुनून ने मुझे विचारों की स्पष्टता दी।

उन्होंने बताया विश्वास के साथ मैं मरीज को लेबर रूम में ले जाने में कामयाब रही और कुछ समय बाद एक स्वस्थ बच्चे ने जन्म लिया। फिर मैं अपने अन्य 19 रोगियों की जांच के लिए अपने वार्ड में लौट आई और अगली सुबह पुलिस के आने तक वहीं रही।

कुलथे ने कहा कि बाद में जब उसे एक जीवित आतंकवादी की पहचान करने के लिए ले जाया गया, तो उसने शर्म या पश्चाताप के साथ कहा, मैडम आपने मुझे सही पहचाना। मैं अजमल कसाब हूं।

कुलथे ने कहा, हम 26/11 मुंबई हमलों के पीड़ित न्याय के लिए इंतजार कर रहे हैं। हमला कराने वाले आज भी आजाद हैं। बहुत से लोगों की जान गई है। बहुत से बच्चे अनाथ हो गए।

अपनी भूमिका के बारे में उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि मैं 20 गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों की जान बचाने में सफल रही। मैं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से 26/11 के हमले की साजिश रचने वालों को न्याया के कटघरे में लाने की अनुरोध करती हूं।

बैठक में बोलने वाले कई राजनयिकों ने कुलथे के साहस की सराहना की।

केन्या के स्थायी प्रतिनिधि मार्टिन किमानी ने उन्हें दुनिया भर में कई लोगों के लिए प्रेरणा कहा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it