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जामताड़ा के ऐतिहासिक मठ में स्थित श्रीरामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा तोड़ी, संन्यासियों और भक्तों में रोष

झारखंड के जामताड़ा स्थित प्रसिद्ध रामकृष्ण मठ में एक व्यक्ति ने श्रीरामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा खंडित कर दी

जामताड़ा के ऐतिहासिक मठ में स्थित श्रीरामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा तोड़ी, संन्यासियों और भक्तों में रोष
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जामताड़ा। झारखंड के जामताड़ा स्थित प्रसिद्ध रामकृष्ण मठ में एक व्यक्ति ने श्रीरामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा खंडित कर दी। इसे लेकर मठ के संन्यासियों, श्रीरामकृष्ण परमहंस के अनुयायियों और स्थानीय लोगों में रोष है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

जामताड़ा के एसडीपीओ विकास लागुरी ने बताया कि प्रतिमा खंडित करने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए कई लोगों से जानकारी ली जा रही है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

मंगलवार को घटना की खबर इलाके में फैली तो बड़ी संख्या में लोग मठ में जुट आए। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों से लोगों ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की।

पश्चिम बंगाल के आसनसोल और बेलूर स्थित श्रीरामकृष्ण मिशन और मठ के कई संन्यासी भी जामताड़ा पहुंचे हैं। इस दुखद घटना पर उन्होंने दुख व्यक्त किया है।

पुलिस को जानकारी मिली है कि जिस व्यक्ति ने प्रतिमा खंडित की है, उसका मठ में कभी-कभी आना-जाना था। मठ के संन्यासियों को उसके नाम-पता की जानकारी नहीं है। इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

जामताड़ा के उपायुक्त और आरक्षी अधीक्षक को भी घटना की जानकारी दी गई है।

स्थानीय लोगों ने इसे आस्था पर हमला बताते हुए प्रतिमा खंडित करने वाले व्यक्ति की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। जामताड़ा स्थित यह मठ 104 वर्ष पुराना है। इसकी स्थापना 1921 में की गई थी।

एक उदार हृदय भक्त ने मठ की स्थापना के लिए मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी ब्रह्मानंद जी को जमीन दानस्वरूप दी थी। स्वामी शिवानंद जी महाराज के मार्गदर्शन में मठ का निर्माण 1926 में पूरा हुआ था।

रामकृष्ण मिशन संस्था के अंतर्गत देश-विदेश में संचालित किए जाने वाले मठों में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। देश में बेलूर मठ के अलावा एकमात्र यही मठ है, जहां श्रीरामकृष्ण परमहंस की प्रतिमा स्थापित है।


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