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राफेल पर एचएएल के पूर्व प्रमुख का बयान सही नहीं: रक्षा मंत्रालय

राफेल विमान बनाने के लिए फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन के साथ वर्कशेयर समझौते के बारे में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी एस राजू के मीडिया में छपे बयान को रक्षा मंत्रालय ने

राफेल पर एचएएल के पूर्व प्रमुख का बयान सही नहीं:  रक्षा मंत्रालय
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नयी दिल्ली। राफेल विमान बनाने के लिए फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन के साथ वर्कशेयर समझौते के बारे में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी एस राजू के मीडिया में छपे बयान को रक्षा मंत्रालय ने गलत करार दिया है।

मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि राजू का आज इस बारे में मीडिया में आया बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है। इस बयान में उनके हवाले से कहा गया है कि एचएएल का डसाल्ट एविएशन के साथ हुआ वर्कशेयर समझौता सरकार को सौंपा गया था। मीडिया रिपोर्ट में विमान की कीमत और उनके रख रखाव से जुडे मुद्दों का भी उल्लेख किया गया है।

सूत्रों ने कहा कि एचएएल के पूर्व प्रमुख रक्षा मंत्रालय की इस सौदे से संबंधित बातचीत के लिए बनी समिति के सदस्य थे। एचएएल और डसाल्ट एविएशन के बीच कई मुद्दों पर असहमति थी। एचएएल ने 11 अक्टूबर 2012 को रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर इन असहमतियों की जानकारी दी थी।

बाद में जुलाई 2014 में भी एचएएल ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख कर कहा था कि विमानों के विनिर्माण से संबंधित जिम्मेदारी के मुद्दे का समाधान नहीं हुआ है। इसके अलावा विमान के विभिन्न कलपुर्जो के विनिर्माण में एचएएल में लगने वाले समय को लेकर भी दोनों के बीच सहमति नहीं थी। सूत्रों ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट में एचएएल के पूर्व प्रमुख के हवाले से किये गये दावों में विरोधाभास है।

सूत्रों के अनुसार जब एचएएल और डसाल्ट एविएशन के बीच वर्कशेयर समझौता ही नहीं हुआ तो विमानों के रख रखाव संबंधी कम कीमत के दावे पूरी तरह कल्पना पर आधारित हैं। इन्हीं कारणों के चलते 126 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों का सौदा आगे नहीं बढ सका था।
सूत्रों ने कहा है कि इससे साफ है कि एचएएल के पूर्व प्रमुख के बयान पर आधारित मीडिया रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत है।


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