इन गिरफ्तारियों के संकेत साफ हैं
देश में सरकार विरोधी लोगों की गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है। एक ओर तो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है

देश में सरकार विरोधी लोगों की गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है। एक ओर तो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल 'न्यूज़क्लिक' के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। उन्हें पोर्टल के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती के साथ पुलिस कस्टडी में सौंपा गया है जहां हफ्ते भर दोनों से पूछताछ होगी।
आप से राज्यसभा के सदस्य संजय सिंह को दिल्ली सरकार के कथित शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया है तो न्यूज़क्लिक पर आरोप है कि उसने चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिये धन लिया है। आप पार्टी के दो वरिष्ठ मंत्री शराब मामले में पहले से जेल में हैं- उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आबकारी मंत्री सत्येन्द्र जैन। दोनों पर शराब नीति में फेरबदल कर घूस लेने के आरोप हैं। इसी की कड़ी के रूप में संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 10 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
मंगलवार को पुरकायस्थ एवं चक्रवर्ती के अलावा और भी कई प्रतिष्ठित पत्रकारों को पुलिस ने पूछताछ के लिये बुलाया था। उनमें से कई के लैपटॉप व मोबाइल जब्त कर लिये गये थे। इनमें उर्मिलेश, अनिंद्य चक्रवर्ती, परंजॉय गुहा ठाकुरता, अभिसार शर्मा तो थे ही, इतिहासकार सोहेल हाशमी, व्यंग्यकार संजय राजौरा एवं सेंटर फॉर टेक्नालॉजी एंड डेवलपमेंट के डी रघुनंदन शामिल हैं। पूछताछ के बाद दोनों के अलावा अन्य को जाने दिया गया। ऐसे ही, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के भतीजे अभिषेक बैनर्जी को कई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली में उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे कृषि भवन के बाहर धरना दे रहे थे। उनसे पहले ही कथित कोयला घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय कई बार पूछताछ कर चुकी है। यह भी माना जाता है कि उन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।
कहने को तो ये सारे मामले अलग-अलग हैं लेकिन राजनैतिक रूप से देखें तो साफ हो जाता है कि इनका आपस में सूक्ष्म सम्बन्ध है। संजय सिंह एक बेहद मुखर सांसद हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी सरकार के कट्टर आलोचकों में से एक माने जाते हैं। प्रभावशाली वक्ता होने एवं निडरता से अपनी बात रखने वाले संजय पर आरोप है कि शराब घोटाले के एक आरोपी बिचौलिये दिनेश अरोरा से उन्होंने दिल्ली के बार व रेस्त्रां मालिकों से उनकी पार्टी के लिये धन जुटाने को कहा था। अरोड़ा ने 82 लाख रुपये का चेक भी दिया था। उल्लेखनीय है कि संजय सिंह ने संसद में मोदी के मित्र कहे जाने वाले देश के प्रमुख कारोबारी गौतम अदानी के खिलाफ जोर-शोर से आवाज़ उठाई थी। ऐसे ही, अयोध्या के रामजन्मभूमि परिक्षेत्र में कथित जमीन घोटाले का भी संजय सिंह ने बहुत दमदारी से पर्दाफाश किया था। उस वक्त भाजपा के साथ मंदिर ट्रस्ट की बहुत भद्द पिटी थी। तभी से वे भाजपा की आंखों को खटक रहे थे।
पुरकायस्थ की बात करें तो न्यूज़क्लिक को एक निर्भीक पोर्टल के रूप में जाना जाता है जिसकी उन्होंने स्थापना की थी। वे देश के बहुत प्रतिष्ठित व साहसी पत्रकारों में से एक माने जाते हैं। सरकार से सवाल करने के कारण उनके प्रति भी केन्द्र सरकार व भाजपा की नाराज़गी स्वाभाविक है। इतना ही नहीं, जिन पत्रकारों को पूछताछ के लिये बुलाया गया था, वे सारे अपने सरकार विरोधी रवैये के कारण जाने जाते हैं जो जनपक्षधरता की पत्रकारिता करते हैं और सरकार के लोकतंत्र विरोधी कदमों का पुरज़ोर विरोध करते हैं। सरकार से सवाल करना अपना पेशागत धर्म मानने वाले ये पत्रकार शासकीय कार्रवाई की जद से बाहर निकल गये हैं- ऐसा मानने वाले गलत साबित हो सकते हैं।
अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने की आदी मोदी सरकार का यह रवैया वैसा ही है जैसा कि पूरा देश पिछले 9 वर्षों से प्रत्यक्ष देख रहा है। संसद के बाहर हो या भीतर, विरोधी दलों के नेताओं पर अपनी जांच एजेंसियों- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा आयकर विभाग (आईटी) के छापे डलवाना तथा आधे-अधूरे आरोपों के आधार पर या बेवजह उन्हें गिरफ्तार करना मोदी सरकार की नीति और कार्यपद्धति में शामिल हो चुका है। अनेक प्रतिपक्षी नेता जेलों में बन्द हैं या विभिन्न आरोपों से सम्बन्धित पूछताछ से गुजर रहे हैं जिन पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। जिन सांसदों को वह गिरफ्तार नहीं कर पाती उन्हें सदन से निलम्बित करना, उनकी आवाज को म्यूट कर देना अथवा उनके वाक्यांशों को कार्रवाई से निकाल देना मोदी सरकार के उपकरण हैं जो पूर्णत: अलोकतांत्रिक हैं। स्वयं संजय सिंह को पिछली बार पूरे सत्र के लिये निलम्बित कर दिया गया था जिसके कारण उन्हें संसद परिसर में ही गांधी प्रतिमा के पास धरना देना पड़ा था। टीएमसी के ही डेरेक ओ ब्रायन भी निलम्बन झेल चुके हैं। गुजरात की एक कोर्ट द्वारा अवमानना के आरोप में हुई सजा के बाद राहुल गांधी की सदस्यता छीनी गयी थी। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी भी निलम्बित हुए थे।
जहां तक पत्रकारों की गिरफ्तारी की बात है, कई भाजपा शासित राज्यों में अनेक पत्रकार इसलिये जेलों में बन्द हैं क्योंकि उन्होंने सरकारी की खामियां उजागर कर दी थीं। ये बड़े ओहदों पर बैठे पत्रकार नहीं हैं लेकिन अब जैसे बड़े पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई हुई है उसके संकेत साफ हैं कि भाजपा, उसकी सरकारों या मोदी के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को चुप कराया जायेगा।


