जीवन जीने की कला का रहस्य दो-चार शब्द में छिपा : टडंन
मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने कहा है कि जीवन जीने की कला का रहस्य दो-चार शब्द में ही छिपा है। यदि इसको समझ लिया जाये तो जीवन में किसी प्रकार का असंतोष नहीं रहता

भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन ने कहा है कि जीवन जीने की कला का रहस्य दो-चार शब्द में ही छिपा है। यदि इसको समझ लिया जाये तो जीवन में किसी प्रकार का असंतोष नहीं रहता।
राज्यपाल श्री टंडन ने आज यहां राजभवन में आनंद विभाग तीन दिवसीय 'अल्पविराम' कार्यक्रम के प्रथम दिन प्रतिभागियों को संबोधित करते हुये कहा कि प्रकृति और व्यक्ति एक है। आवश्यकता इस तथ्य को समझने की है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का जब शरीर ही अपना नहीं है तो भौतिक वस्तुएँ कैसे अपनी हो सकती हैं। इस भाव की पहचान ही जीवन जीने का आधार है।
उन्होंने वेद मंत्र 'इदं नमं' की व्याख्या करते हुए बताया कि इस मंत्र का सार है कि मेरा कुछ भी नहीं है। इसी चिंतन पर भारतीय जीवन-दर्शन आधारित है। ईश्वर प्रार्थना में भी पृथ्वी, अंतरिक्ष, वनस्पति, औषधि सर्वत्र शांति की याचना की जाती है।
उन्होंने कहा कि असंतोष सारे दु:खों का कारण है। असंतोष का कारण कर्म से लाभ पाने की अभिलाषा है। यदि व्यक्ति धर्म को धारण कर कर्त्तव्य बोध के साथ कार्य करें। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करें। आवश्यकता से अधिक संग्रह नहीं करे, तो उसका जीवन आनंद से परिपूर्ण होगा। उन्होंने अल्पविराम कार्यक्रम की पहल की सराहना करते हुए उसकी निरंतरता बनाए रखने को कहा।


