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बिहार में भीषण गर्मी ने सब्जियों को भी झुलसाया, किसानों की बढ़ी परेशानी

बिहार में भीषण गर्मी ने सब्जियों की फसल को भी काफी नुकसान पहुंचाया है

बिहार में भीषण गर्मी ने सब्जियों को भी झुलसाया, किसानों की बढ़ी परेशानी
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पटना। बिहार में भीषण गर्मी ने सब्जियों की फसल को भी काफी नुकसान पहुंचाया है। हीटवेव से पौधे तक झुलस रहे हैं। सब्जी उत्पादक फसलों को बचाने के लिए सुबह-शाम पटवन कर रहे हैं, लेकिन अधिकांश पौधों को नहीं बचा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में बाजारों में सब्जियों की आवक कम है।

पिछले वर्षों में मानसून से पूर्व कम से कम चार से पांच बार बारिश हो जाती थी। इस वर्ष मानसून से पूर्व केवल एक बार कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई है।

कृषि वैज्ञानिक भी कहते हैं कि अप्रैल से लेकर जून तक सामान्य से कम से कम चार से पांच डिग्री सेल्सियस तापमान ज्यादा रहा है। इस वर्ष हीटवेव से मौसमी सब्जियों ककड़ी, खीरा, लौकी, नेनुआ, तरबूज, खरबूज, परवल के अलावा अन्य सब्जियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इन सब्जियों की उपज एवं क्वालिटी पर नकारात्मक असर हुआ है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके. सिंह कहते हैं कि उच्च तापमान सब्जियों की वृद्धि और विकास दोनों में बाधा डालता है, जिससे उपज काफी कम हो जाती है। लू से फूल और फल खराब हो जाते हैं, जिससे सब्जियों की मात्रा में भारी कमी आ जाती है। अत्यधिक गर्मी सब्जियों के आकार, रंग और स्वाद को प्रभावित करती है। गर्मी से प्रभावित पौधे अक्सर छोटे, विकृत और कम स्वादिष्ट उत्पाद पैदा करते हैं।

उन्होंने बताया कि हीटवेव के कारण पौधों की जड़ों के पास नमी पूरी तरह समाप्त हो जाती है। उच्च तापमान वाष्पीकरण दर को बढ़ाता है, जिससे पानी की अधिक मांग होती है। अपर्याप्त पानी की आपूर्ति के परिणामस्वरूप पौधे मुरझा जाते हैं, विकास कम हो जाता है और यहां तक कि पौधे सूख भी सकते हैं।

सोन नदी और गंगा नदी के तटों पर सब्जियों के अलावा तरबूज, खरबूज तथा परवल की खूब खेती होती है। लेकिन, इस बार तरबूज का उत्पादन काफी कम हुआ।

व्यापारी बताते हैं कि इस बार अन्य प्रदेशों से तरबूज लाए जा रहे हैं। इस कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सब्जियां भी महंगी हैं।

पटना के नौबतपुर के किसान विनेश चंद्रवंशी भी कहते हैं कि इस साल सब्जियों के उत्पादन में 60 से 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। किसानों को काफी घाटा उठाना पड़ा है। अगर 10 दिनों के अंदर बारिश नहीं हुई तो यह नुकसान और बढ़ेगा।

पटना के पालीगंज के किसान नरोत्तम कुशवाहा बताते हैं कि गर्मी की हालत ऐसी है कि सिंचाई के बाद भी सब्जियों के पौधे सूख रहे हैं। इस वर्ष सब्जियों के किसानों के लिए लागत मूल्य भी निकालना मुश्किल है।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सब्जियों के पौधों के बचाव और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करना चाहिए। पौधों को सीधी धूप से बचाने के लिए छाया प्रदान किया जाना चाहिए। मिट्टी की नमी संरक्षित और तापमान कम करने के लिए जैविक या प्लास्टिक मल्च का उपयोग करना चाहिए।


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