घोटाले की जांच कप्तान की निगरानी में होगी
स्वर्ण जयंतीपुरम प्लॉट आबंटन घोटाले की जांच अब एसएसपी की निगरानी में होगी

गाजियाबाद। स्वर्ण जयंतीपुरम प्लॉट आबंटन घोटाले की जांच अब एसएसपी की निगरानी में होगी। मंगलवार को मामले की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अरुण टंडन व राजीव जोशी की खंडपीठ ने की। मामले के याची राजेंद्र त्यागी के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि जांच में लिप्त पाए गए अधिकारियों को जीडीए ने बचाने की कोशिश की है।
अदालत के आदेश के अनुपालन में सिहानी गेट थाने में अज्ञात में मामला दर्ज कराया गया है। अदालत ने आदेश जारी किए कि मामले की जांच डिप्टी एसपी से कम रैंक का अधिकारी नहीं करेगा। उन्होंने एसएसपी की निगरानी में मामले की जांच करने का आदेश दिया है
गौरतलब है कि जीडीए द्वार स्वर्णजयंतीपुरम आवासीय योजना के तहत 139 भूखंडों का आबंटन गलत तरीके से किया था। मामले में गाजियाबाद के अधिवक्ता व पार्षद राजेंद्र त्यागी की ओर से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी।
मामले में अदालत ने जांच करने के आदेश दिए थे। मंडलायुक्त द्वारा कराई गई जांच में जीडीए के पूर्व वीसी समेत कई बड़े अधिकारी का नाम सामने आया। अधिकारी कर्मचारी समेत करीब 19 लोग के लिप्त होने का मामला जांच में आया। अदालत ने मामले में लिप्त सभी लोगों के खिलाफ एफआइआर कराने के आदेश जीडीए को दिए थे और रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने के लिए 19 दिसम्बर को कहा था। जीडीए की ओर से आनन फानन में गत दिनों सिहानी गेट थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई।
मंगलवार को जीडीए की ओर से प्रस्तुत की कार्यवाही की रिपोर्ट पर याची के अधिवक्ता ने जीडीए की कार्यवाही पर सवाल उठाया। कहा गया कि यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट की धारा 41 में जीडीए को यह अधिकार है कि वह गलत तरीके से आवंटित हो चुके भूखंडों के आदेश को निरस्त कर सकता है लेकिन मामले को लंबा खींचने के लिए जीडीए ने गलत तरीके से आबंटित किए गए भूखंडों के मामले में सिविल शूट दायर कर अपनी जिम्मेदारियों से बचना चाह रहा है।
मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई। अदालत ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को निर्देशित किया कि वह प्रमुख सचिव आवास के इस आदेश की जांच करें कि सिविल शूट दायर करने करने का आदेश क्यों और किस आधार पर दिया।
सीबीआई से जांच की मांग पर अदालत ने कहा कि यदि याची को जांच के दौरान कोई संदेह होता है तो वह अदालत में सीबीआई जांच की मांग कर सकता है।
न्यायालय ने कहा कि मामले की जांच करने वाले अधिकारी को मामले में लिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम, पते आदि की सूचना जीडीए को उपलब्ध करानी होगी। याची राजेंद्र त्यागी ने बताया कि मामले में 23 जनवरी की तिथि नियत की गई है। मुख्य सचिव समेत जांच अधिकारी को आदेश के अनुपालन की प्रगति रिपोर्ट नियत तिथि पर प्रस्तुत करनी है।


