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सीएए विरोधी प्रदर्शन में आईआईटी कानपुर के 5 प्रोफेसरों की भूमिका शक के दायरे में!

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के पांच प्रोफेसरों की भूमिका शक के दायरे में है

सीएए विरोधी प्रदर्शन में आईआईटी कानपुर के 5 प्रोफेसरों की भूमिका शक के दायरे में!
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कानपुर। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के पांच प्रोफेसरों की भूमिका शक के दायरे में है। इन प्रोफेसरों ने शांति मार्च के दौरान कथित तौर पर छात्रों को उकसाने की कोशिश की थी। इस मामले छह सदस्यीय कमेटी के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट आईआईटी प्रशासन को सौंप दी है। अब यह रिपोर्ट आईआईटी निदेशक के पास जाएगी। यह वही प्रदर्शन है, जिसमें पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म पढ़ी गई थी और फिर विवाद की शुरुआत हुई थी।

आईआईटी प्रोफेसर वाशी शर्मा ने शांति मार्च का वायरल वीडियो आईआईटी प्रशासन को भेजकर प्रदर्शन और फैज की नज्म गाए जाने की जांच की मांग की थी।

इस प्रदर्शन में बीटेक, एमटेक और पीएचडी के करीब 300 छात्र शामिल हुए थे। प्रदर्शन की इजाजत प्रबंधन से नहीं ली गई थी, जबकि आईआईटी प्रशासन ने परिसर में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा रखी थी। छात्रों ने पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म भी पढ़ी थी। जांच के लिए सीसीटीवी व मोबाइल कैमरों की रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल किया गया।

इस संबंध में जब डिप्टी डायरेक्टर प्रो़ मणींद्र अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने इसे गोपनीय विषय बताते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।

आईआईटी कानपुर के सूत्रों का कहना है कि इसी वीडियो की जांच में ऐसे ²श्य भी हैं, जिनमें संस्थान के पांच प्रोफेसर छात्रों को उकसाने वाले इशारे करते दिख रहे हैं। इनसे छात्र उग्र हो रहे थे। इसके बाद आईआईटी के सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों को समझा-बुझाकर उन्हें शांत किया था।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो़ अभय करंदीकर ने कहा, "मुझे अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। कुछ और लोगों से पूछताछ की जा रही है। सारे पहलुओं पर जांच के बाद ही रिपोर्ट जारी की जाएगी।"


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