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नेताओं की बयानबाजी ने कांग्रेस का संकट बढ़ाया

मध्यप्रदेश में सत्तारुढ़ दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही उठापठक अब खुलकर सामने आ गयी

नेताओं की बयानबाजी ने कांग्रेस का संकट बढ़ाया
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भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्तारुढ़ दल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही उठापठक अब खुलकर सामने आ गयी है और मंत्री तथा नेताओं के बयानों ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है।

वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी माने जाने वाले राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। सिंघार की ओर से दिग्विजय सिंह को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा गया कथित पत्र कल ही सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया, जिसमें सिंघार के दस्तखत नहीं थे। हालाकि सिंघार ने आज मीडिया से चर्चा में स्वीकार किया कि उन्होंने श्रीमती गांधी को पत्र लिखा है।

आरपार की लड़ाई के लिए तैयार नजर आ रहे आदिवासी नेता सिंघार ने आज भी सिंह पर जमकर और गंभीर आरोप लगाए। वहीं दिग्विजय सिंह के समर्थक माने जाने वाले जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा ने आज ही अपने साथी मंत्री सिंघार के बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वे ( श्री सिंघार) स्वयं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल थे, इसलिए इस तरह के बयान दे रहे हैं।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल सिंधिया की समर्थक मंत्री इमरती देवी ने ग्वालियर में कहा कि हम सभी श्री सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए डटे हैं, बस महाराज (श्री सिंधिया) पीछे ना हटें। इस बीच सिंधिया भी ग्वालियर पहुंच चुके हैं और वे आज और कल ग्वालियर में ही रहेंगे। वहां पर सिंधिया के हजारों समर्थक जुटे हैं।

इसके साथ आज ही पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का भी ट्वीट आ गया है, जिसने सभी का ध्यान खींचा है। यादव ने लिखा है 'मध्यप्रदेश में 15 सालों तक ईमानदार पार्टीजनों के साथ किए गए संघर्ष के बाद आठ महीनों में जो स्थितियां सामने आ रही हैं, उसे देखते हुए बहुत व्यथित हूं। यदि इतनी जल्दी इन दिनों का आभास पहले ही हो जाता तो शायद जान हथेली पर रखकर जहरीली और भ्रष्ट विचारधारा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ता। बहुत आहत हूं।'

यादव ने अपने ट्वीट के साथ प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूर्ववर्ती सरकार के खिलाफ संघर्ष और प्रदर्शन संबंधी फोटो भी पोस्ट किए हैं।
इन सब घटनाक्रमों के संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने यूनीवार्ता से कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप चलने वाला संगठन है, जहां विभिन्न नेता और कार्यकर्ता अपनी बात खुलकर रख सकते हैं। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि राज्य के नेताओं में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे सब मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में एक हैं। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा।

राज्य में पंद्रह वर्षों बाद दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुयी है। कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। कमलनाथ को विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान दी गयी थी और वे वर्तमान में भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं। पिछले कुछ दिनों से नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चयन की कवायद के बीच सिंधिया के समर्थक काफी मुखर हुए। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में दिग्विजय सिंह का नाम भी आया, हालाकि उन्होंने स्वयं इससे इंकार किया है।

राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर ताजपोशी को लेकर ही कांग्रेस में यह सब घटनाक्रम चल रहा है।


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