अमृतसर ट्रेन हादसे की जिम्मेदारी तय हो'
पिछले वर्ष यहां दशहरा के दौरान हुए रेल हादसे के पीड़ितों के सैकड़ों परिजनों ने आज घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा न दिलवा पाने के लिए स्थानीय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया।

अमृतसर । पिछले वर्ष यहां दशहरा के दौरान हुए रेल हादसे के पीड़ितों के सैकड़ों परिजनों ने आज घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा न दिलवा पाने के लिए स्थानीय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। हादसे में 61 लोगों की जान चली गई थी। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मंत्री और क्षेत्रीय विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ भी नारे लगाए और हादसे के बाद किए गए वादे को पूरा न करने का आरोप लगाया।
सिद्धू और उनकी पत्नी ने प्रत्येक पीड़ितों के परिजनों को सरकारी नौकरी और अपने कमाने वाले माता-पिता को खोने वाले बच्चों को गोद लेने और विधवाओं के गुजारा-भत्ते को लेकर मदद का आश्वासन दिया था।
एक प्रदर्शनकारी सुनील कुमार ने मीडिया से कहा, "हमें सिद्धू और उनकी पत्नी ने दुर्घटना के समय कहा था कि वे हमारे परिवार को नौकरी देंगे।"
हादसे में जान गंवाने वाले अपने भाई की फोटे दिखाते हुए उन्होंने कहा कि सिद्धू दंपति ने आजतक कोई भी वादा पूरा नहीं किया।
उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दिनों से, हम उनके घर जा रहे हैं और हमें कहा जा रहा है कि सिद्धू शहर से बाहर हैं।"
अन्य प्रदर्शनकारी संगीता रानी ने कहा, "हम राज्य सरकार से इस हादसे की जांच सीबीआई से करवाने का आग्रह कर रहे हैं, ताकि घटना के जिम्मेदार लागों को सजा दिलवाई जा सके।"
अमृतसर में 19 अक्टूबर 2018 को जोड़ा फाटक के समीप रावण का पुतला दहन देख रहे कई लोगों को तेज रफ्तार ट्रेन ने कुचल दिया था।
दुर्घटना में अपने पिता को खोने वाले 20 वर्षीय एक कॉलेज छात्र ने कहा, "सिद्धू और उसकी पत्नी जुलाई में सरकार छोड़ने के बाद चिरनिंद्रा में चले गए हैं।"
दुर्घटना में अपने बेटे को खोने वाले रमेश कुमार ने कहा, "मुझे सरकार से मुआवजा मिल गया। लेकिन सिद्धू और उनकी पत्नी ने मुझसे मेरे दूसरे बेटे को नौकरी देने का वादा किया था, क्योंकि हमने परिवार के एकमात्र कमाने वाले को खो दिया है।"
अकाली दल के नेता व पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया के नेतृत्व में सोमवार की शाम एक कैंडल लाइट जुलूस निकाला गया था, जिसमें पीड़ितों के परिजनों ने हिस्सा लिया।
मजीठिया ने कहा कि दुर्घटना के संबंध में जांच की तीन घटनाएं हुईं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने कहा कि जालंधर संभागीय आयुक्त द्वारा की गई जांच का उद्देश्य घटना में जिम्मेदार लोगों को बचाना था।
उन्होंने कहा कि सिद्धू दंपति के करीबी सहयोगी और दशहरा उत्सव के संचालनकर्ता मिट्ठ मदान को जांच में बचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेदों के चलते सिद्धू ने 14 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
उसके बाद से वह लोगों के सामने केवल एकबार आए हैं और अपने क्षेत्र अमृतसर (पूर्व) में विकास कार्यो को देखने कुछ समय के लिए ही आए थे।


