पीएनआर देखने पर गणित के सवाल, चकरा रहे हैं रेलयात्री
भारतीय रेल के यात्री आजकल अपने पीएनआर स्टेटस को जांच ने से पहले गणित का इम्तहान देते हुए दिखाई दे रहे हैं

नई दिल्ली। भारतीय रेल के यात्री आजकल अपने पीएनआर स्टेटस को जांच ने से पहले गणित का इम्तहान देते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दरअसल भारतीय रेल की वेबसाइट पर जब पीएनआर की स्थिति की जांच का विकल्प आता है तो उसमें कैप्चा इस तरह से भरने के विकल्प में गणित के सवाल आते हैं। मसलन जोड़, घटा आदि। अब मुसाफिर इस नई पहल से जहां अनजान हैं तो वहीं कई पढ़े लिखे तब चकरा जाते हैं जब उनका जवाब सही होने पर भी उनकी सीट कंफर्म हुई है इसकी जानकारी देने की बजाय वेबसाइट नया सवाल परोस देते हैं।
पड़ताल से पता चला कि भारतीय रेल इस गणित के सवाल के सहारे साइबर की दुनिया में पहले पायदान का ताज हासिल करने के लिए पटरी बिछा रही है
रेल अधिकारियों के मुताबिक भारतीय रेल की वेबसाइट पर पूछताछ सीट क्यों उपलब्धता रेलगाड़ी की स्थिति सहित जो भी डाटा उपलब्ध है उसे निजी क्षेत्र की वेबसाइट आसानी से चुरा लेती हैं। इसमें सबसे लोकप्रिय पीएनआर स्टेटस की जांच है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्राइवेट पोर्ट्ल्स इस चोरी से करीबन एक करोड़ मुसाफिरों की जानकारी भारतीय रेल की वेबसाइट से लेकर अपने बाजार को बढ़ा रहे हैं। बाजार बढ़ने से भारतीय रेल की आधिकारिक वेबसाइट जहां छठे सातवें पायदान पर पहुंच गई तो अन्य प्राइवेट वेबसाइट्स नंबर एक पर आकर भारी मुनाफा कमाने लगी। जबकि इसका भार भारतीय रेल के सर्वर पर आया और इसके बाद ही अधिकारियों ने अपने सर्वर पर आने वाले इस अनावश्यक बोझ को कम करने के लिए उपाय शुरू कर दिए।
अधिकारियों ने बताया भारतीय रेल की वेबसाइट पर तत्काल टिकट बुकिंग के समय लगभग ढाई लाख लोग एक साथ होते हैं जबकि पूरे दिन एक करोड़ लोग वेबसाइट जांचते हैं। बता दें कि रेलवे रोजाना करीबन 12 लाख आरक्षित श्रेणी के यात्रियों को अपनी सेवाएं देता है इसके अलावा लोग वेबसाइट पर रेलगाड़ियों की आवाजाही, नियमों, सीट की उपलब्धता, पार्सल, रिटायरिंग रूम आदि की जानकारी भी लेते हैं।
रेलवे के आईटी विशेषज्ञों बताते हैं कि रेलवे की वेबसाइट से डाटा चोरी कर अनावश्यक भार से निपटने के उपाय में ही तय हुआ कि ऐसा कैप्चा डाला जाए जिसे निजी वेबसाइट डीकोड ना कर सकें और परिणामस्वरुप गणित के सवाल वाले कैप्चा शुरू कर दिए गए।
रेल मंत्रालय के एडिशनल मेंबर आईटी संजय दास इसकी पुष्टि करते हुए मानते हैं कि रेलवे की वेबसाइट से कंटेंट को व्यवसायिक इस्तेमाल से रोकने के लिए रेलवे के कानूनों में बदलाव की जरुरत है शीघ्र बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है और तल अभी वेबसाइट सहित अन्य रेल सुविधाओं से आय पर एक कमेटी का गठन हो चुका है कमेटी की सिफारिशों के बाद कुछ नए नियम लागू हो सकेंगे।
- अनिल सागर


