कर्नाटक में सरकार की ओर से विकास कार्य न करने का अारोप लगाकर संतों ने किया विरोध प्रदर्शन
उत्तरी कर्नाटक में विभिन्न धार्मिक मठों के 30 से ज्यादा संतों ने मंगलवार को सुवर्णा विधान सौध के सामने इस क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से विकास कार्य न करने का अारोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया

बेलगावी। उत्तरी कर्नाटक में विभिन्न धार्मिक मठों के 30 से ज्यादा संतों ने मंगलवार को सुवर्णा विधान सौध के सामने इस क्षेत्र में राज्य सरकार की ओर से विकास कार्य न करने का अारोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
पृथक राज्य की मांग को लेकर दो अगस्त के उत्तरी कर्नाटक बंद के आह्वान को देखते हुए यह प्रदर्शन महत्वपूर्ण है। संतों ने अलग राज्य की मांग से अपने अलग बताया है लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार इस क्षेत्र का विकास करें जिसे पिछले कई दशकों से नकारा जा रहा है।
प्रदर्शनकारी संतों ने जनता दल (सेक्युलर)-कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को चेतावनी दी है कि अगर यहां विकास कार्य नहीं होगा तो प्रदर्शन और उग्र होगा और इन सबके लिये राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
विधानसभा में विपक्ष के नेता बी एस येद्दियुरप्पा प्रदर्शनकारी संतों से मिलकर उनके मुद्दे के लिये पूर्ण समर्थन देने के लिये कहा कि और स्पष्ट किया कि भाजपा राज्य के विभाजन के खिलाफ है और दो अगस्त को होने वाले बंद का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य अलग होने से किसी को कुछ भी हासिल नहीं होगा और वह सुनिश्चित करते हैं कि भाजपा इस क्षेत्र के विकास के लिए विधानसभा के अंदर और विधानसभा के बाहर लड़ेगी।
येदियुरप्पा ने पत्रकारों से बताया कि अपने स्वार्थ के लिए अलग राज्य की मांग पर पिता और पुत्र राजनीति कर रहे हैं। मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें लोगों को यह कहने का अधिकार नहीं है कि अगर तुमने पार्टी को मतदान नहीं किया है तो तुम्हें विकास परियोजनाओं के बारे में जानने का कोई अधिकार नहीं है। वह अपनी पार्टी के 37 विधायकों के नहीं, पूरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को इस मुद्दे पर अपना पक्ष जनता को बताना चाहिए। अगर पार्टी उत्तरी कर्नाटक के लिए अलग राज्य की मांग के खिलाफ है तो उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र के खिलाफ मुख्यमंत्री के बयान के विरोध में सरकार से अलग हो जाये।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जिसमें लोकसभा सांसद एम मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया इस मुद्दे पर चुप हैं जबकि सरकार की बहुत अलोचना हो रही है। इस मुद्दे पर उन्हें खुले तौर पर सरकार का विरोध करना चाहिए और सरकार को चेतावनी देनी चाहिए कि उनकी पार्टी राज्य में किसी भी क्षेत्र की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेगी।


