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पाकिस्तान और भारत के बीच "दुष्प्रचार युद्ध" जारी

भारत और पाकिस्तान ने सैन्य टकराव के बाद संघर्ष विराम की घोषणा कर दी, लेकिन सोशल मीडिया पर दोनों देशों के लोग गलत सूचना फैलाकर जनता की धारणा को नियंत्रित करने की कोशिश जारी रखे हुए हैं

पाकिस्तान और भारत के बीच दुष्प्रचार युद्ध जारी
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भारत और पाकिस्तान ने सैन्य टकराव के बाद संघर्ष विराम की घोषणा कर दी, लेकिन सोशल मीडिया पर दोनों देशों के लोग गलत सूचना फैलाकर जनता की धारणा को नियंत्रित करने की कोशिश जारी रखे हुए हैं.

सोशल मीडिया साइट फेसबुक और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म अभी भी हमलों के झूठे फुटेज से भरे हुए हैं, सैन्य कार्रवाई में कम से कम 60 लोग मारे गए और हजारों लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा. समाचार एजेंसी एएफपी के फैक्ट चेकर्स ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई इन फुटेज की पड़ताल की है जो वास्तव में गाजा युद्ध या यूक्रेन युद्ध से जुड़ी हैं.

भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम शांति के लिए काफी नहीं

सैन्य टकराव के दौरान गलत सूचनाओं की बाढ़

भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया ने भी गलत सूचनाओं को बढ़ावा दिया है, जिनमें सैन्य जीत के झूठे या अपुष्ट दावे भी शामिल हैं. इनके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि इनसे तनाव बढ़ा है और हेट स्पीच की बाढ़ आई है.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और संयुक्त राष्ट्र में फ्रांसीसी सैन्य मिशन के पूर्व प्रमुख जनरल डोमिनिक ट्रिनक्वांड ने कहा, "सैन्य तथ्यों को साबित करना जटिल है, क्योंकि हमलों की वास्तविकता का पता लगाना कठिन है, इसके अलावा एक संचार युद्ध भी चल रहा है."

गलत सूचना का प्रचार-प्रसार बुधवार, 7 मई को चरम पर पहुंच गया, जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के अंदर मिसाइल हमले किए. इनके बारे में भारत ने कहा कि उसके निशाने पर "आतंकवादी ठिकाने" थे.

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोग मारे गए. नई दिल्ली ने इस हमले का समर्थन करने के लिए लिए इस्लामाबाद को दोषी ठहराया है, लेकिन पाकिस्तान इस दावे से इनकार करता रहा है.

भारतीय एयर स्ट्राइक के पहले दौर के बाद, पाकिस्तानी सेना ने वह फुटेज साझा किया जो साल 2023 में गाजा पर इस्राएली हवाई हमले के बारे में समाचारों में दिखाया गया था. यह फुटेज जल्दी ही टेलीविजन और सोशल मीडिया पर दिखाई देने लगी, लेकिन बाद में एएफपी सहित कई मीडिया ने इसे वापस ले लिया.

एआई और डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल

दोनों देशों के तनाव के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाई गई तस्वीरों ने भी मामले को उलझा दिया है, जिसमें एक वीडियो भी शामिल है जिसमें कथित तौर पर पाकिस्तान सेना के एक जनरल को यह कहते हुए दिखाया गया है कि देश ने अपने दो विमान खो दिए हैं. एएफपी की फैक्ट चेक टीम ने पाया कि यह फुटेज 2024 की प्रेस कॉन्फ्रेंस से छेड़छाड़ कर बनाया गया था.

मिशिगन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन में एसोसिएट प्रोफेसर जोयोजीत पाल ने कहा, "डीपफेक टूल्स तक बढ़ती पहुंच के कारण हमने वीडियो और तस्वीरों दोनों में एआई आधारित सामग्री की एक नई लहर देखी."

एएफपी की गैर-लाभकारी संस्था ओपन ऑब्जर्वेटरी ऑफ नेटवर्क इंटरफेरेंस के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि पाकिस्तान ने भारतीय हमलों के दिन ही एक्स पर एक साल से अधिक पुराना बैन हटा लिया था.

पाकिस्तान में डिजिटल अधिकार विशेषज्ञ और कार्यकर्ता ओसामा खिलजी ने कहा, "संकट के समय में सरकार चाहती है कि उसके लोगों की आवाज दुनिया भर में सुनी जाए और उसे दबाया ना जाए, जैसा कि पहले घरेलू राजनीतिक उद्देश्यों के लिए होता था."

साइबर हमले और फेक न्यूज

पाकिस्तान की नेशनल साइबर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम (एनसीईआरटी) ने 8 मई को "ईमेल, सोशल मीडिया, क्यूआर कोड और मैसेजिंग ऐप के माध्यम से बढ़ते साइबर हमलों और गलत सूचनाओं" के बारे में अलर्ट जारी किया था. बाद में पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय और कराची पोर्ट ट्रस्ट दोनों ने कहा कि उनके एक्स अकाउंट हैक कर लिए गए थे.

एक्स पर एक बाद की पोस्ट में कहा गया कि भारतीय सेना ने दक्षिण एशिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक कराची बंदरगाह पर हमला किया था. बाद में अकाउंट को बहाल कर दिया गया और कराची पोर्ट अथॉरिटी ने पुष्टि की कि कोई हमला नहीं हुआ था.

सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कार्रवाई

इस बीच, भारत ने पाकिस्तानी राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और मीडिया संगठनों के सोशल मीडिया खातों को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की. भारत सरकार ने एक्स को 8,000 से अधिक खातों को ब्लॉक करने का आदेश दिया और पाकिस्तानी मीडिया समेत कथित तौर पर "भड़काऊ" सामग्री फैलाने के लिए एक दर्जन से अधिक पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया.

भारत सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) फैक्ट चेक सेल ने भी इस सैन्य तनाव के बारे में 60 से अधिक दावों का खंडन किया है, जिनमें से अधिकांश का संबंध पाकिस्तानी सेना की जीत से था.

दोनों देशों के तनाव के कारण ऑनलाइन गलत सूचनाओं की बाढ़ के साथ-साथ ऑफलाइन हेट स्पीच में भी वृद्धि हुई है. अमेरिका स्थित इंडिया हेट लैब की एक रिपोर्ट में 22 अप्रैल से 2 मई के बीच 64 व्यक्तिगत हेट स्पीच की घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया गया है. इनमें से ज्यादातर का वीडियो बनाया गया और बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया.

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गेनाइजेड हेट के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर रकीब हमीद नाइक कहते हैं, "ऑफलाइन हेट स्पीच और हानिकारक ऑनलाइन सामग्री के बढ़ने के बीच एक चक्रीय संबंध है." उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले ने भारत में "रैलियों में उल्लेखनीय वृद्धि की, जहां धुर दक्षिणपंथी नेताओं ने मुस्लिम भारतीयों और कश्मीरियों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने के लिए इस दुखद घटना को हथियार बनाया."

अब जबकि संघर्ष विराम की घोषणा हो चुकी है, नाइक ने चेतावनी दी है कि हेट स्पीच "एक बार फिर धार्मिक अल्पसंख्यकों पर केंद्रित होंगी" उन्होंने कहा, "युद्ध मशीन भले ही रुक गई हो, लेकिन नफरत की मशीन कभी नहीं रुकती. मुझे डर है कि यह और अधिक ताकत के साथ वापस आ सकती है."


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