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अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा पर कोयले की बादशाहत कायम

पिछले साल दुनियाभर में ऊर्जा की मांग एक फीसदी बढ़ी और अक्षय ऊर्जा की पैदावार में रिकॉर्ड वृद्धि हुई लेकिन इससे जीवाश्म ईंधनों की खपत पर जरा भी असर नहीं पड़ा.

अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा पर कोयले की बादशाहत कायम
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सोमवार को जारी वर्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक अब भी कुल ऊर्जा का 82 फीसदी हिस्सा कोयले से पूरा हुआ. रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण ऊर्जा बाजार में पिछले साल भारी उथल-पुथल रही और गैस व कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी गयी. 2022 में अक्षय ऊर्जा की पैदावार में रिकॉर्ड 12 फीसदी की वृद्धि हुई लेकिन ऊर्जा बाजार पर कोयले, तेल और गैस का कब्जा बरकरार रहा.

युनाइटेड किंग्डम स्थित एनर्जी इंस्टिट्यूट की अध्यक्ष जूलियन डेवनपोर्ट कहती हैं, "पवन और सौर ऊर्जा से बनी बिजली की मात्रा में बड़ी वृद्धि देखी गयी लेकिन ऊर्जा के कारण ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन फिर भी बढ़ गया. हम अब भी पेरिस समझौते में तय की गयी दिशा के उलट ही बढ़ रहे हैं.”

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इस साल पहली बार तेल कंपनी बीपी की जगह एनर्जी इंस्टिट्यूट ने यह सालाना रिपोर्ट जारी की है और ओद्यौगिक सलाहकार एजेंसियों केपीएमजी और कियर्नी ने भी इस रिपोर्ट को तैयार करने में मदद की.

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पेरिस समझौते में तय किये गये लक्ष्यों को हासिल करना है तो ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 2030 तक 2019 के स्तर से 43 फीसदी कम करना होगा.

हर हिस्से पर महंगाई का असर

ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2021 में ऊर्जा का उपभोग 5.5 फीसदी बढ़ा था तो पिछले साल घटकर 1 फीसदी ही बढ़ा. लेकिन 2019 में कोविड के आने से पहले के स्तर से यह अब भी लगभग तीन फीसदी ज्यादा है. यूरोप को छोड़कर बाकी पूरी दुनिया में ऊर्जा के उपभोग में वृद्धि दर्ज की गयी.

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दुनिया में कुल जितनी ऊर्जा इस्तेमाल की गयी उसमें अक्षय ऊर्जा का हिस्सा 7.5 फीसदी रहा जो 2021 से लगभग एक फीसदी ज्यादा था. लेकिन इसका जीवाश्म ईंधनों के उपभोग पर कोई असर नहीं पड़ा और वह लगभग 82 प्रतिशत के स्तर पर बना रहा.

2022 में उसके पिछले साल के मुकाबले 2.3 फीसदी ज्यादा बिजली पैदा हुई. इसमें पवन और सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 12 फीसदी थी, जो परमाणु ऊर्जा से ज्यादा रही. परमाणु ऊर्जा में 4.4 फीसदी की कमी हुई और अक्षय ऊर्जा स्रोतों में उसकी हिस्सेदारी 84 प्रतिशत रही बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 2022 में सबसे ज्यादा 35.4 फीसदी की रही.

तेल और गैस

2022 में तेल का उपभोग 29 लाख बैरल प्रति दिन बढ़कर 9.73 करोड़ बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गया. हालांकि यह वृद्धि 2021 के मुकाबले कुछ धीमी रही. कोविड के पहले 2019 की तुलना में यह 0.7 फीसदी कम था. तेल की ज्यादातर मांग जेट ईंधन और डीजल व उससे जुड़े उत्पादों की ओर से आयी.

तेल का उत्पादन 2022 में 38 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ गया. सबसे ज्यादा उत्पादन तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और अमेरिका में हुआ. नाइजीरिया में उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गयी.

यूरोप और एशिया में प्राकृतिक गैस की बेतहाशा बढ़ती कीमतों का असर मांग पर देखा गया और उसमें तीन प्रतिशत की गिरावट आयी. लेकिन तब भी प्राकृतिक गैस ऊर्जा उपभोग का सबसे बड़ा स्रोत बना रहा और कुल ऊर्जा उपभोग में इसकी हिस्सेदारी 24 फीसदी की रही. हालांकि 2021 के मुकाबले यह थोड़ा कम था.

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कुल मिलाकर प्राकृतिक गैस के उत्पादन में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ. लीक्वीफाइड नैचुरल गैस (एलनजी) का कुल उत्पादन 542 अरब घन मीटर रहा जो बीते साल से 5 फीसदी ज्यादा था. पर 2021 में भी इसमें इतनी ही वृद्धि हुई थी.

इस वृद्धि में सबसे ज्यादा 57 फीसदी की हिस्सेदारी यूरोप की रही जबकि एशिया प्रशांत और दक्षिण व मध्य अमेरिका में गिरावट दर्ज हुई. चीन की जगह जापान 2022 में एलएनजी का सबसे बड़ा आयातक बन गया.

कोयला और अक्षय ऊर्जा

2022 में कोयले की कीमतों ने नये रिकॉर्ड बनाये और यूरोप में 145 प्रतिशत व जापान में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. कोयले का उपभोग 0.6 फीसदी की दर से बढ़ा जो 2014 के बाद सबसे ज्यादा है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान चीन और भारत में बढ़ी मांग का रहा. उत्तरी अमेरिका और यूरोप में कोयले के उपभोग में कमी दर्ज हुई.

बीते साल के मुकाबले कोयले का उत्पादन 7 फीसदी ज्यादा हुआ जिसमें मुख्य भूमिका चीन, इंडोनेशिया और भारत की रही.

पनबिजली को छोड़ दें तो अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी में थोड़ी कमी देखी गयी और अक्षय ऊर्जा से कुल बिजली उत्पादन में इनका योगदान 14 फीसदी का रहा. लेकिन सौर और पवन ऊर्जा में 266 गीगावाट की वृद्धि हुई. सौर ऊर्जा का योगदान सबसे ज्यादा रहा. चीन ने सौर और पवन ऊर्जा के उत्पादन में सबसे ज्यादा वृद्धि की.


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