सहकारिता का सिद्धांत भारत के साथ पूरे विश्व को सफल और टिकाऊ मॉडल दे सकता है : अमित शाह
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि सहकारिता का सिद्धांत भारत के साथ पूरे विश्व को एक सफल और टिकाऊ मॉडल देने का काम कर सकता है

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि सहकारिता का सिद्धांत भारत के साथ पूरे विश्व को एक सफल और टिकाऊ मॉडल देने का काम कर सकता है। उन्होने कहा कि दुनिया ने पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों मॉडल को अपनाया लेकिन ये दोनों ही एक्सट्रीम मॉडल हैं, सहकारी मॉडल मध्यम मार्ग है और यह भारत के लिए सबसे उपयुक्त है।
100 वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के 75वें वर्ष में केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय का गठन करके सहकारिता आंदोलन में प्राण फूंका हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हमें ये संकल्प लेना है कि 2047 तक, देश में सहकारिता के शिखर का वर्ष होगा। उन्होने कहा कि वर्तमान में प्रचलित आर्थिक मॉडल के कारण जो असंतुलित विकास हुआ, उसे सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी बनाने के लिए सहकारिता के मॉडल को लोकप्रिय बनाना होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।
शाह ने देश के गांवों के विकास में सहकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों में से 8,55,000 भारत में हैं और लगभग 13 करोड़ लोग सीधे इनसे जुड़े हैं और देश के 91 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जिनमें कोई ना कोई सहकारी समिति है। उन्होने कहा कि कई लोगों को लगता है कि सहकारिता विफल रही है लेकिन उन्हें वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालनी चाहिए कि कई देशों की जीडीपी में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है।
शाह ने दावा किया कि मोदी सरकार ने देश में सहकारिता के प्राणक्षेत्र को बचाकर रखा है और अमूल, इ़फ्को और कृभको का मुनाफा सीधा किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि विश्व की 300 सबसे बड़ी सहकारी समितियों में से अमूल, इ़फ्को और कृभको के रूप में भारत की तीन समितियां भी शामिल हैं।
पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि देश में 70 करोड़ वंचित वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता से बेहतर कुछ नहीं हो सकता, ये लोग पिछले 70 सालों में विकास का स्वप्न देखने की स्थिति में भी नहीं थे क्योंकि पिछली सरकार गरीबी हटाओ का केवल नारा देती थी।
सहकारिता क्षेत्र की मजबूती के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों कि जानकारी देते हुए शाह ने बताया कि सरकार ने देश की 65 हजार प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों- पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का निर्णय किया है जिससे पैक्स, जि़ला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैक और नाबार्ड ऑनलाइन हो जाएंगे। केंद्र सरकार ने पैक्स के संदर्भ में मॉडल बाय-लॉ राज्यों को उनके सुझावों के लिए भेजे हैं ताकि पैक्स को बहुद्देशीय और बहुआयामी बनाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इन मॉडल बाय-लॉ को सहकारी समितियों को भी सुझावों के लिए भेजा जाएगा। इसके अनुसार 25 प्रकार की गतिविधियों को पैक्स के साथ जोड़ा जाएगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
शाह ने दावा किया कि सहकारिता मंत्रालय सहकारी समितियों को संपन्न, समृद्ध और प्रासंगिक बनाने के लिए हरसंभव सुधार करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। सहकारिता मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य विषय सहकारिता से एक आत्मनिर्भर भारत और बेहतर विश्व का निर्माण था।


