मीडिया की ताकत से बदल सकता है राष्ट्र का नैतिक दृष्टिकोण : प्रणव
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि मीडिया की ताकत का इस्तेमाल देश का नैतिक दृष्टिकोण बदलने के लिए किया जा सकता है

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि मीडिया की ताकत का इस्तेमाल देश का नैतिक दृष्टिकोण बदलने के लिए किया जा सकता है।
श्री मुखर्जी ने यहां कलिंगा एफसीसी उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किये जाने के अवसर पर कहा कि टेलीविजन और इंटरनेट के व्यापक प्रसार के बावजूद मीडिया का शैक्षणिक पहलू ज्यादातर अनदेखा किया जाता रहा है। उन्होंने कहा, “भारतीय मीडिया पर यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह सामने आकर यह बताये कि गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए मीडिया और संचार उपकरणों का कैसे इस्तेमाल किया जाये।”
उन्होंने पत्रकारों से देश की वह तस्वीर प्रस्तुत करने का आह्वान किया जो उन्होंने देखी है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया यात्रा और लोगों से मुलाकात के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हो सकता है। उन्होंने कहा कि अखंडता और स्वतंत्रता दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और मीडिया तथा हर व्यक्ति के लिए एक समान महत्वपूर्ण है। मीडिया लोगों और सरकारी कर्मचारियों के बीच का माध्यम है। उसके पास सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने की शक्ति है। वह यह भी सुनिश्चित करता है कि शक्ति का दुरूपयोग नहीं हो।
इस अवसर पर रायटर्स के दो पत्रकारों को कलिंगा-एफसीसी पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ब्रिटेन की बीबीसी, जर्मनी की यूरोपियन प्रेस फोटो एजेंसी और अमेरिका की पीबीएस न्यूज ऑवर को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हर पुरस्कार के तहत एक लाख रुपये का चेक, एक ट्रॉफी, एक मेडल और एक प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। श्री मुखर्जी ने ये पुरस्कार प्रदान किये।


