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एक-दूसरे को संभालने की ताकत संयुक्त परिवार में ही : साध्वी सम्यग्दर्शना 

एक-दूसरे को संभालने की ताकत संयुक्त परिवार में होती है, एकांकी परिवार में नहीं होती

एक-दूसरे को संभालने की ताकत संयुक्त परिवार में ही : साध्वी सम्यग्दर्शना 
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राजनांदगांव। एक-दूसरे को संभालने की ताकत संयुक्त परिवार में होती है, एकांकी परिवार में नहीं होती। कोई कुछ काम कर रहा है तो उसकी प्रशंसा करो और कोई काम नहीं कर रहा है तो उससे कहो कि तुम अपना काम करो और नहीं कर पा रहे हो तो मैं तुम्हारा कर दूं क्या?, उक्त उदगार साध्वी सम्यग्दर्शना जी ने अपने चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार में ज्यादा स्वतंत्रता होती है जबकि स्वतंत्रता की सोच वाले एकांकी परिवार में स्वतंत्रता की जगह बंधन ज्यादा होता है। उन्हें कहीं जाना होता है तो काफी सोच विचार कर वे बाहर जाते हैं।

साध्वी ने कहा कि संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की ही देन है। पाश्चात्य देशों में बच्चे होते हैं, वे थोड़े बड़े होते हैं और उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है। आजकल कुटुंब और परिवार शब्दों का उच्चारण खत्म हो गया है और उसके स्थान पर फैमिली शब्द आ गया है इसलिए पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है।

साध्वी श्री ने कहा कि फैमिली की स्पेलिंग है फैमेली 4 और भारतीय संस्कृति में हर शब्द का अर्थ होता है। एफ का मतलब फादर, ए का मतलब एंड , एम का मतलब मदर, आई का मतलब मैं, एल का मतलब लव और वाई का मतलब यू। उन्होंने कहा कि फैमिली का पूरा मतलब फादर एंड मदर आई लव यू होता है।

साध्वी श्री ने कहा कि परिवार के साथ ऐसे संबंध स्थापित करें कि हम प्रत्येक सदस्य के साथ दूध की तरह घुल मिल जाएं लेकिन हमने संबंधों में संपर्क साधना शुरू कर दिया है। संबंध अर्थात दूध और पानी का मिलन जबकि संपर्क अर्थात तेल और पानी का मिलन।

उन्होंने कहा कि परिवार के लोगों के साथ संबंध होना चाहिए लेकिन हम परिवार के लोगों के साथ अब संपर्क स्थापित कर रहे हैं परिवार के लोगों के लिए हमारे पास समय ही नहीं है। हम बाह्य लोगों से संबंध बनाने में लगे हुए हैं जबकि परिवारिक लोगों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं।


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