जंगल में तब्दील पिकनिक स्पॉट इकोपार्क
हर साल आंवला नवमी के बाद पिकनिक का दौर भी शुरू हो जाता है और फरवरी माह के अंत तक लोग पिकनिक मनाने के लिए पिकनिक स्थलों तक पहुंचते हैं

रायगढ़। हर साल आंवला नवमी के बाद पिकनिक का दौर भी शुरू हो जाता है और फरवरी माह के अंत तक लोग पिकनिक मनाने के लिए पिकनिक स्थलों तक पहुंचते हैं। ऐसे में हर साल पिकनिक स्थलों की साफ-सफाई भी करायी जाती है, लेकिन इस बार रेगांलपाली सर्किल में विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के कारण पिकनिक स्थल बदहाल हालत में पड़े हुए है।
कभी साफ-सुथरा रहने वाला पिकनिक स्थल बिंजकोट इकोपार्क आज जंगल के रूप में तब्दील हो चुका है और इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है। ऐसे में यहां पिकनिक मनाने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विदित हो कि तत्कालीन डीएफओ केके बिसेन के द्वारा बिंजकोट इकोपार्क सहित रायगढ़ वन मंडल के अन्य पिकनिक स्थलों को व्यवस्थित कराया गया था और उनके स्थानंतरण के बाद पिकनिक स्थल फिर से बदहाल होने लगे, लेकिन हर साल आंवला नवमीं के पूर्व पिकनिक स्थलों को साफ-सुथरा व रंग-रोगन किया जाता था। ताकि यहां आने वाले लोगों को पिकनिक के दौरान किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, लेकिन विडबंना है कि इस बार कई पिकनिक स्थलों को बदहाल हाल में छोड़ दिया गया।
जिसका जीता जागता उदाहरण बिंजकोट इकोपार्क है। शहर से महज छह किमी की दूरी पर बिंजकोट इकोपार्क है और यहां साल भर लोग पिकनिक मनाने के लिए आते रहते हैं, पर इस बार यहां सफाई न होना लोगों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। बताया जा रहा है कि यहां बड़े-बड़े घास उग जाने के कारण पिकनिक स्थल जंगल बन गया है और व्यवस्थित नहीं होने के कारण यहां आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
कल भी शहर से सैकड़ों लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए गए थे, लेकिन वन विभाग के इस स्थल को देख लापरवाह कर्मचारियों को कोसने से कोई नहीं थक रहा था। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी विभाग के बड़े अधिकारियों को नहीं है, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी विभाग के अधिकारियों के द्वारा लापरवाह कर्मचारियों के उपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
50 हजार गए पानी में
करीब तीन साल पहले यहां की बदहाली को दूर करने के लिए पचास हजार रुपए खर्च किए गए थे। ताकि लोगों को यहां पिकनिक मनाने के दौरान किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े, लेकिन विडबंना है कि इसे व्यवस्थित विभाग के द्वारा नहीं रखा गया और शासन के हजारों रुपए को बर्बाद कर दिया। एक ही साल में यहां का पहुंच मार्ग बदहाल हो गया, तो मुख्य गेट के पास की मिट्टी बरसाती पानी में बह गया।
खल रही बिसेन जैसे डीएफओ की कमी
यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि तत्कालीन डीएफओ केके बिसेन की कमी अब रायगढ़ वन मंडल को खल रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई सौगात रायगढ़ को दिए। बदहाल पड़े इंदिरा विहार, पर्यावरण पार्क, रामझरना, रॉकगार्डन, जुर्डा इकोपार्क, बिंजकोट इकोपार्क को व्यवस्थित कर लोगों के हित में काम किया।
इस दौरान हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते थे और विभाग के कार्यों की सराहना करते थे, लेकिन उनके स्थांतरण के बाद वन प्रबंधन समिति से लेकर विभाग के पार्क बिखर कर रह गए।
नहीं हो रही मानिटरिंग
पिकनिक स्थलों की बकायदा मॉनिटरिंग विभाग के अधिकारी करते हैं और यहां की सुरक्षा के लिए चौकीदार भी तैनात किए जाते हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी मानिटरिंग करने से कतरा रहे हैं। यही कारण है कि बिंजकोट अब बदहाली के दौर से गुजर रहा है। यहां पूर्व में बच्चों के मनोरजंन के लिए कई झूले लगाए थे, लेकिन अब एक ही झुला नजर आता है और वह भी बड़े-बड़े घास के बीच होने के कारण किसी काम का नहीं रहा।


