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बृज क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव सौंध व बंचारी में रही फूलडोर मेले की धूम

धुलहेंडी के दूसरे दिन शनिवार को गांव सौंध व बंचारी में हर्षोल्लास के साथ फूलडोर मेले का आयोजन किया गया

बृज क्षेत्र के ऐतिहासिक गांव सौंध व बंचारी में रही फूलडोर मेले की धूम
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होडल। धुलहेंडी के दूसरे दिन शनिवार को गांव सौंध व बंचारी में हर्षोल्लास के साथ फूलडोर मेले का आयोजन किया गया। उप मंडल के गांव बंचारी और सौंध का यह फूलडोर मेला दूर दराज के राज्यों में भी प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए एक दिन पहले ही लोगों का पहुंचाना शुरु हो जाता है।

बड़े मेले के आयोजन को लेकर यहां बाजार भी सजाया जाता है जिसमें हजारों की संख्या में दुकानदार दुकानें लगाकर रोजी रोटी कमाते हैं।

मेले को देखने के लिए बृज क्षेत्र के अलावा दूर दराज के गांवोंं से हजारों की संख्या में दर्शक गांव बनचारी व सौंध पहुंचे। जिनका ग्रामीणों द्वारा रंग गुलाल आदि लगाकर स्वागत किया गया। यहां हुरियारों ने बड़ी-बड़ी पिचकारियों से चौपालों पर खड़े होकर गांव पहुंचने वाले दर्शकों को होली के रंग में एक दूसरे को सरावोर किया। इस मेले को देखने के लिए ग्रामीण महिला व पुरुष सुबह से ही चौपालों पर एकत्रित होना शुरू हो गए। गांव की लगभग प्रत्येक चौपाल पर ड्रमों में रंग व गुलाल रखा गया, जहां सेे हुरियरों नेे पिचकारियों में रंग भरकर एक दूसरे पर बरसाया।

इस मेले के अवसर पर जगह-जगह चौपाई पार्टियों ने कृष्ण भक्ति पर आधारित लोकगीत प्रस्तुत किए जिस पर ग्रामीण महिलाएं, पुरुष तथा युवाओं ने जमकर नृत्य किया। गांव सौंदहद में पक्की चौपाल से फलडोर मेले की शुरुआत की गई तो गांव बंचारी में ऐतिहासिक प्रसिद्ध दाऊ जी महाराज मन्दिर के प्रांगण से मेले का शुभारंभ किया गया। यहां हुरियारों ने कौन गांव के कुमर कन्हैया कौन गांव की गोरी रे रसिया, नन्दगांव के कुमर कन्हैया और बरसाने की गोरी रे रसिया गाए और ढोल नगाडों की धुन पर जमकर नृत्य किया। मेले में निकलने वाले हुरियारे सभी दर्शकों को बड़ी पिचकारियों से रंगों में सरावोर करते चले जाते हैं।

फूलडोर के मेले के दौरान यहां दो पार्टियांं बनाई जाती हैं जो एक दूसरे के ऊपर पीतल व तांबे आदि की बनी पिचकारियों से जमकर रंग बरसाते हैं। इस दिन गांव के प्रत्येक घर में आए हुए मेहमानों के लिए खान-पान की व्यवस्था की जाती है। जिसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन, मिठाई आदि खिलाकार घर पहुंचे महमानों का आदर-सत्कार किया जाता है। मेला देखने के लिए बाहर से आने वाले मेहमानों और दर्शकों के लिए गांव की सभी चौपालों पर भी खानपान की पूरी व्यवस्था रहती है।

इस दिन महिलाऐं भी रंग बिरंगे कपड़े व सोने -चांदी के आभूषणों से परिपूर्ण रहती हैैं तथा होली के मेले में फाग, रसिाया आदि गाकर जमकर नृत्य करती हैं। होली के अवसर पर बंचारी गांव में लगने वाले फूलडोर मेले में विदेशों में अपने हुनर का डंका बजाने वाली भजन गायन पार्टी के कलाकारों ने होली के फाग प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को वाहवाह कहने को मजबूर कर दिया। इसके अलावा क्षेत्र के ऐतिहासिक सत्ती सरोवर के पास भी होली का आायोजन किया गया। इस दौरान ग्रामीण महिलाओं तथा पुरुषों ने होली के रसिया गाकर जमकर नृत्य किया।


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