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कांग्रेस में बयानबाजी का दौर पूरी तरह नहीं थमा

मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही बयानबाजी संगठन के सख्त रुख के बाद कुछ कम अवश्य हुयी

कांग्रेस में बयानबाजी का दौर पूरी तरह नहीं थमा
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भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही बयानबाजी संगठन के सख्त रुख के बाद कुछ कम अवश्य हुयी है, लेकिन अपने ही दल के नेताओं पर आरोप प्रत्यारोप का दौर पूरी तरह नहीं थमा है।

गंभीर आरोपों के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ दो दिन पहले मोर्चा खोलने वाले राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार की मंगलवार रात यहां मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात के बाद बयानबाजी लगभग समाप्त हो गयी है, लेकिन उनके तेवर अभी पूरी तरह नरम नहीं पड़े हैं।

सिंघार ने कल रात एक बार फिर सार्वजनिक तौर पर एक ट्वीट किया, जो मीडिया की सुरखी बन गया। इसमें सिंघार ने लिखा है 'उसूलों पर जहां आंच आये टकराना जरूरी है। जो गर जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है। सत्यमेव जयते।' उनके ट्वीट को देखकर माना जा रहा है कि वे अभी पूरी तरह शांत नहीं हुए हैं।

दो दिन पहले सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर आरोपों की बौछार कर दी थी। वे दिन भर टीवी कैमरे के सामने बयान देते रहे। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा उनसे मिलने पहुंची और उन्हें समझाइश दी। देर शाम सिंघार मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलने उनके निवास पर पहुंचे और वहां से लौटते समय उन्होंने एकतरह से चुप्पी साध ली थी।

वहीं मंगलवार की शाम को ही एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें इंदौर के एक सामाजिक कार्यकर्ता और धार जिले के आबकारी अधिकारी के बीच बातचीत का दावा किया गया था। इसमें अधिकारी बता रहे थे कि धार जिले के किस विधायक को शराब ठेकेदार की ओर से कितना पैसा दिया जाता है। इस ऑडियो के बाद फिर से बवाल मच गया और देर रात सरकार ने संबंधित अधिकारी को हटा दिया।

इन घटनाक्रमों के बाद बुधवार सुबह कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने सिंघार के निवास के पास ही उनका पुतलादहन कर उन्हें पद से हटाने की मांग करते हुए नारेबाजी भी की। फिर रात्रि में सिंघार का ट्वीट आ गया। वहीं वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंगलवार और बुधवार ग्वालियर में डटे रहे। सिंधिया के समर्थक अपने नेता को लगातार प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग सार्वजनिक तौर पर करते आ रहे हैं।

वहीं सिंधिया के समर्थक मंत्री गोविंद राजपूत ने सिंघार के प्रकरण में पूछे जाने पर बुधवार को ग्वालियर में मीडिया से चर्चा में कहा कि उनका (श्री सिंघार) कुछ न कुछ दर्द रहा होगा। राजपूत की तरह सिंघार भी सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं।
राज्य में पिछले दो तीन दिन से चल रहे राजनैतिक घटनाक्रमों और बयानबाजी के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह जहां फिलहाल शांत दिखायी दे रहे हैं, लेकिन उनके कुछ समर्थक विधायक और नेताओं ने सिंघार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

वहीं भिंड जिले के गोहद से कांग्रेस विधायक रणवीर जाटव ने बुधवार को मीडिया से कहा कि कांग्रेस की प्रदेश में सरकार जरुर है, लेकिन मंत्री अपने ही दल के विधायकों की बात नहीं सुनते। उन्होंने आरोप लगा दिया कि मंत्री कोई भी काम हो, पैसा लेकर करते हैं। सिंधिया के समर्थक माने जाने वाले जाटव ने स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट पर आरोप लगाया है कि उनके पास किसी काम के लिए जाओ, तो वे पैसा वसूलने के लिए अपने बेटे के पास भेज देते हैं।

जाटव ने कहा कि सरकार और मंत्री अगर उनकी बात नहीं सुनेंगे, तो वह पार्टी छोड़कर भाजपा में भी जा सकते हैं।
जाटव यहीं नहीं रुके। उन्होंने भिंड जिले के लहार में सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह पर रेत का अवैध उत्खनन कराने का आरोप लगाया और कहा कि इस कार्य में पूर्व मुख्यमंत्री श्री सिंह मदद करते हैं। उनका दावा है कि वे इस संबंध में राज्य सरकार के वरिष्ठ नेताओं काे बता चुके हैं, इसके बावजूद मंत्रियों की कार्यप्रणाली में फर्क नहीं आया है।

राज्य में वर्तमान में मुख्यमंत्री कमलनाथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहे हैं। नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबरों के बीच श सिंधिया के समर्थकों ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग खुलकर की है। यह क्रम अभी भी चल रहा है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर ही यह सब हंगामा हुआ है।


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