नेताओं से पूछे जनता ने तीखे सवाल
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने मध्य प्रदेश में चल रहे चुनावों में नेताओं को जनता के बीच सीधे लाने के उद्देश्य से लोकमंच का आयोजन किया, इसमें भाजपा को छोड़कर सभी दलों के प्रत्याशी उपस्थित रहे
बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने मध्य प्रदेश में चल रहे चुनावों में नेताओं को जनता के बीच सीधे लाने के उद्देश्य से लोकमंच का आयोजन किया, इसमें भाजपा को छोड़कर सभी दलों के प्रत्याशी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में नेताओं ने मतदाताओं और श्रोताओं द्वारा पूछे गए तमाम सवाल व समस्याओं पर विस्तृत जवाब देकर इस जनतांत्रिक पहल की गरिमा बढ़ाई। यहां उपस्थित नर्मदा घाटी की जनता ने कहा कि जो इस मंच पर भाजपा के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं रहे यह नर्मदा घाटी का ही नहीं, नर्मदा की भी अवमानना की है।
कार्यक्रम में उपस्थित कांग्रेस के विधायक रमेश पटेल, पदाधिकारी चन्द्रशेखर यादव, कॉंग्रेस से निकलकर निर्दलीय उम्मीदवार बने ऍड. राजन मंडलोई, बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सुमेरसिंग बड़ोले, आम आदमी पार्टी के चन्दन बड़ोले तथा निर्दलीय (समाजवादी पार्टी समर्थित) राणा दुर्गेश ने खुलकर स्वयं की एवं पार्टी की भूमिका रखने के साथ-साथ कई सारे मुद्दों पर खुलकर जवाब दिया। मुद्दे उठाते हुए जनता ने कड़े सवाल किए, नर्मदा पर ही नहीं किसानों, मजदूरों पर भी। नर्मदा पर पिछली विधानसभा में किसने ,कितने सवाल उठाये यह पूछने पर चंदू भाई यादव ने कहा, भाजपा के शासन में हमें पूछने का न मौका मिला, न ही चर्चा का, लेकिन कॉंग्रेस के सभी विधायकों ने सभा त्याग करके, बड़वानी व चिखल्दा के उपवास के दौरान व हर आंदोलन में सहभाग लिया। निर्दलीय उम्मीदवार राजन मंडलोई ने स्वयं आंदोलन के नारे लगाकर, नर्मदा के सामाजिक, पर्यावरणीय मुद्दों पर जानकार होने का परिचय दिया।
किसानों के मुद्दों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, मंडी में अव्यवस्था, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश तथा आत्महत्याओं पर बात की गयी। भाजपा-कॉंग्रेस के घोषणा पत्रों पर टिप्पणी के साथ मेधा पाटकर ने कहा की एक ओर जब कॉंग्रेस सहित तमाम विरोधी दलों ने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय की ओर से लोकसभा व राज्य सभा में प्रस्तुत किये दो क़ानूनों पर जिसमें सम्पूर्ण कर्जमुक्ति का मुद्दा भी है, समर्थन के हस्ताक्षर किए है, तो घोषणा पत्र में कॉंग्रेस ने मात्र 2 लाख तक कर्जमुक्ति का आश्वासन कैसे दिया, इसका जवाब चाहिए| भाजपा के प्रतिनिधि न होने के नाते, मंदसौर का हत्याकांड, व्यापमं घोटाला , मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार, शिक्षा में शासकीय संस्थाओं की दुर्दशा व छात्रवृत्ति भुगतान में दिक्कतों से लेकर बड़वानी के लॉ कॉलेज को बंद करने तक के मुद्दों पर जवाब लेना मुश्किल हुआ। मंथन अध्ययन केंद्र के रेहमत भाई मंसूरी ने सवाल उठाया कि क्या नर्मदा से, जलाशयों से, पाइप लाइनों के द्वारा पानी उठाकर मालवा की नदियों में डालने की करोड़ों की योजना आगे बढ़े तो निमाड के खेत, गाँव, कुएं सूखेंगे नहीं? कॉंग्रेस के प्रत्याशी ने जवाब दिया, हम सत्ता में आए तो यह नहीं होने देंगे। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चन्दन बडोले पर सवाल कसे और यह भी पूछा गया कि पार्टी ने रेत माफियाओं को प्रत्याशी बनाया कैसे? चन्दन ने अवैध रेत खनन कार्य किया इसलिए खुली सभा में माफी मांग ली।


