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पीवी नरसिम्हा राव के परिवार का छलका दर्द, गांधी परिवार ने अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री को नहीं दिया सम्मान

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा के पोते एन वी सुभाष ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के उद्घटान पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए गांधी परिवार पर अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया है

पीवी नरसिम्हा राव के परिवार का छलका दर्द, गांधी परिवार ने अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री को नहीं दिया सम्मान
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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा के पोते एन वी सुभाष ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के उद्घटान पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए गांधी परिवार पर अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया है।

आईएएनएस से बात करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा के पोते एन वी सुभाष ने कहा कि उनके दादा ( पीवी नरसिम्हा राव) ने अपना पूरा जीवन कांग्रेस को समर्पित कर दिया, वो कांग्रेस को अपनी मां मानते थे। 1991 में संकट काल में उन्होंने पार्टी और सरकार, दोनों को संभाला। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं को समझा कर, मना कर पांच साल तक अल्पमत सरकार चलाई। लेकिन कांग्रेस ने, खासतौर से गांधी परिवार ने उन्हें कभी वह सम्मान नहीं दिया, जिस सम्मान के वो हकदार थे। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा इस बात का दुख और मलाल रहेगा।

आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं और उनके परिवार ने कई बार सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह अनुरोध किया कि उनके विचारों को लोगों तक पहुंचाने और उन्हें सम्मान देने के लिए कुछ कीजिए लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस एक परिवार के अलावा किसी और के बारे में सोचती ही नहीं है।

हैदराबाद से प्रधानमंत्री संग्रहालय के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नई दिल्ली आए एन वी सुभाष ने कहा कि विरोधी दल के प्रधानमंत्री होने के बावजूद नरेंद्र मोदी ने विचारधारा के आरोप पर कोई भेदभाव नहीं करते हुए उनके दादा के साथ-साथ देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मानित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है, जिसके लिए वो प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभारी है। उन्होंने कहा कि आज वो अपने आपको सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

कांग्रेस पर राजनीतिक हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आना चाहिए था, लेकिन इन तीनों ने नहीं आकर यह साबित कर दिया कि आजादी के 75 वर्षो बाद भी गांधी परिवार देश और देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में नहीं बल्कि सिर्फ अपने परिवार के बारे में ही सोच रही है।


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