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जलियांवाला बाग हत्याकांड की पीड़ा हर भारतीय के हृदय में बनी है : नायडू

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने स्मारक स्थल पर शहीदों को अपनी पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया

जलियांवाला बाग हत्याकांड की पीड़ा हर भारतीय के हृदय में बनी है : नायडू
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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को अमृतसर में जलियांवाला बाग की यात्रा करते हुए भारत में ब्रिटिश शासन के सबसे काले अध्याय और मानव इतिहास के सबसे रक्त रंजित जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड की पीड़ा हर भारतीय के हृदय में है।

नायडू ने स्मारक स्थल पर शहीदों को अपनी पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं वर्षगांठ पर एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया। इस मौके पर पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनोर भी मौजूद थे।

नायडू ने ट्वीट किया, "जलियांवाला बाग नरसंहार हम में से हर एक को यह याद दिलाता है कि हमारी आजादी कितनी कठिन और मूल्यवान है।"

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 1919 में बैसाखी के ही दिन की गई औपनिवेशिक क्रूरता और विवेकहीन क्रोध को दर्शाती है, जिसके लिए यह दिन इस हत्याकांड में शहीद हुए प्रत्येक निर्दोष भारतीय के लिए मौन अश्रु बहाने का एक मार्मिक क्षण है।

उपराष्ट्रपति ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा, "इस अमानवीय नरसंहार को भले ही 100 वर्ष व्यतीत हो गए हों, लेकिन इसकी पीड़ा और वेदना आज भी हर भारतीय के हृदय में व्याप्त है। इतिहास घटनाओं का मात्र क्रम ही नहीं है, बल्कि यह हमें गहराइयों के साथ अतीत में घटी घटनाओं से सीखने की प्रेरणा देने के साथ-साथ उनसे सावधान रहने के लिए भी सचेत करता है। यह हमें यह भी दर्शाता है कि बुराई की शक्ति क्षणिक होती है।"

नायडू ने लोगों से इतिहास से सबक लेने और मानवता के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व समुदाय से दुनिया के सभी क्षेत्रों में चिरस्थायी शांति को बढ़ावा देने की अपील करते हुए विद्यालयों से लेकर वैश्विक शिखर सम्मेलनों के हर स्तर पर सतत विकास को सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि प्रगति को शांति के बिना हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होंने विश्व के देशों से एक नई और न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था स्थापित करने की अपील की, जहां शक्ति और जिम्मेदारियों को साझा किया जा सके साथ ही सलाह और विचारधाराओं के सम्मान के साथ पृथ्वी के संसाधनों को साझा किया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह दिन हमें अदम्य मानवीय भावनाओं की याद दिलाता है, जो गोलियों के रोष को शांत करते हुए अंतत: स्वतंत्रता और शांति के ध्वज को ऊंचा बनाए रखता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को यह याद रखना चाहिए कि हमारी जीत कितनी कठिन और मूल्यवान है।

उन्होंने कहा कि 1919 में आज ही बैसाखी के दिन अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रत्येक निर्दोष भारतीय के लिए एक मौन आंसू बहाने का दिन है।

उपराष्ट्रपति ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन के क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो द्वारा अमृतसर के जलियांवाला बाग में लगाई गई एक फोटो प्रदर्शनी को भी देखा। प्रदर्शनी में जलियांवाला बाग की घटना को समर्पित 45 पैनलों के माध्यम से उस समय के समाचार पत्रों के अंश, महात्मा गांधी के पत्र, रवीन्द्र नाथ टैगोर और अन्य प्रमुख नेताओं को दशार्या गया है। यह प्रदर्शनी स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण आयामों को भी दिखाती है।


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