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विधानसभा में महिलाओं की संख्या थी 15, आज देश की संसद में हैं 115 महिलाएं : ओम बिरला

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश में हर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही अग्रिम भूमिका और महिला केंद्रित विकास के विजन का जिक्र करते हुए कहा है कि संविधान सभा में महिलाओं की संख्या 15 थी

विधानसभा में महिलाओं की संख्या थी 15, आज देश की संसद में हैं 115 महिलाएं : ओम बिरला
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नई दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देश में हर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही अग्रिम भूमिका और महिला केंद्रित विकास के विजन का जिक्र करते हुए कहा है कि संविधान सभा में महिलाओं की संख्या 15 थी। आज 115 महिला भारत की संसद में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उन्होंने समय के साथ महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ने का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र तक की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं में आज 14 लाख से ज्यादा महिलायें नेतृत्व करते हुए समाज में सामाजिक और आर्थिक बदलाव ला रही हैं।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज की छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि नारी शक्ति का सम्मान भारतीय परंपरा और संस्कृति का हिस्सा है। महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, बाबा साहब अंबेडकर जैसे समाज सुधारकों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वास्तव में, रानी लक्ष्मीबाई ने ही आजादी के आंदोलन की नीव रखी थी और बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी के कारण ही हमारा स्वतंत्रता संग्राम सफल हो सका।

बिरला ने आजादी के बाद से अब तक देश के विकास में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि हर क्षेत्र में आज देश की महिलाएं अग्रिम भूमिका निभा रही हैं। फाइटर प्लेन से लेकर सीमाओं पर युद्ध हो, चाहे अर्धसैनिक बल हो, हर जगह महिलायें अग्रिम पंक्ति पर खड़ी हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से लाखों महिलायें अपने छोटे-छोटे उद्योग चलाकर समाज में एक बड़ा बदलाव ला रही हैं।

लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि देश महिला केंद्रित विकास के विजन को लेकर आगे बढ़ रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में आज महिलाएं जिन उपलब्धियों को अपने नाम दर्ज करा रही है, वह अमृत काल में देश के संकल्पों के साकार होने का विश्वास दिलाती है।


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