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जर्मनी की सेना में बहुत कम है महिलाओं की संख्या

जर्मनी की सेना में महिलाओं की संख्या काफी कम है. लैंगिक बराबरी के लिए आवाज उठाने वाले देश में इसे लेकर चिंता जताई जा रही है

जर्मनी की सेना में बहुत कम है महिलाओं की संख्या
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जर्मनी की सेना में महिलाओं की संख्या काफी कम है. लैंगिक बराबरी के लिए आवाज उठाने वाले देश में इसे लेकर चिंता जताई जा रही है. हालांकि बीते कुछ सालों से महिलाएं सेना के करियर में ज्यादा रुचि दिखा रही हैं.

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जर्मनी में अनिवार्य सैन्य सेवा बहाल करने की चर्चा हो रही है. इस बीच जर्मन सेना में महिलाओं की कम संख्या की ओर भी लोगों का ध्यान गया है. सशस्त्र सेनाओं की संसदीय आयुक्त एफा होएगल ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि सेना में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. जर्मन मीडिया संस्थान रिडेक्शियनेत्सवर्क डॉयचलैंड (आरएनडी) से बातचीत में उन्होंने यह बताया है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की पार्टी से जुड़ी होएगल का कहना है, "हम पहले की तरह नहीं चल सकते."

महज 13 फीसदी महिलाएं

जर्मनी की सेना में काम करने वालों में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 13 फीसदी है. होएगल का कहना है कि अगर मेडिकल क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को इनमें से अलग कर दिया जाए तो यह हिस्सेदारी और घट कर 10 फीसदी से भी नीचे आ जाती है. आधिकारिक तौर पर जर्मनी में इसके लिए 20 फीसदी की सीमा तय की गई है लेकिन वास्तविक संख्या इससे बहुत कम है. सिर्फ इतना ही नहीं शीर्ष पदों पर तो महिलाओं की भारी कमी है. फिलहाल सिर्फ तीन जनरल ही महिला हैं. होएगल का कहना है कि महिलाओं का शीर्ष पदों पर पहुंचना सामान्य बात बनाने की जरूरत है.

रक्षा मंत्रालय की एक प्रवक्ता ने आरएनडी को बताया कि सेना में भर्ती होने के लिए महिलाओं की तरफ से आवेदन में इजाफा हुआ है. पिछले साल आए कुल आवदेनों में 17 फीसदी आवेदन महिलाओं की तरफ से आए थे. प्रवक्ता ने कहा, "यह देख कर हमें बहुत खुशी हुई."

अब डेनमार्क में भी महिलाएं सेना में भर्ती होंगी

हालांकि उन्होंने भी यह माना कि रक्षा मंत्रालय में शीर्ष पदों पर महिलाओं की संख्या बहुत कम है. वरिष्ठ अधिकारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी है. मंत्रालय से बाहर सेना में नेतृत्व वाले पदों पर महिलाएं 16 फीसदी हैं. सेना की मेडिकल शाखा में महिलाओं की तादाद 46 फीसदी तक है.

होएगल से पहले आयुक्त रहे हांस पेटर बार्टेल्स ने अनिवार्य सैनिक सेवा की वापसी पर उसमें महिलाओं को शामिल करने की मांग की थी. जर्मनी के सरकारी रेडियो डॉयचलैंड फुंक पर एक डिबेट के दौरान उन्होंने यह मांग रखी थी. यह चर्चा जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा को फिर से बहाल करने पर थी. 2011 में जर्मनी ने अनिवार्य सैनिक सेवा को खत्म कर दिया था. यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद एक बार फिर इसे लागू करने की बात हो रही है.

जर्मन सेना में महिलाओं का सफर

1955 तक जर्मन सेना में महिलाओं का प्रवेश बिल्कुल वर्जित था. धीरे धीरे इस पर बातचीत शुरू हुई और इसके करीब 20 साल बाद यानी 1975 में पहली महिला को जर्मन सेना की मेडिकल शाखा में प्रवेश मिला.

पहली बार अमेरिकी नौसेना प्रमुख की कमान महिला के हाथ

1991 से महिलाओं को मेडिकल और सेना के म्यूजिक डिविजन में नौकरी दी जाने लगी. इसके बाद साल 1996 में पहली बार तान्या क्राइल ने पहली सर्विस-वुमन के लिए आवेदन दिया. बड़ा बदलाव साल 2000 में तब आया जब यूरोपीयन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने सेना के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के प्रवेश की सारी बाधाएं खत्म कर दीं.

2001 में फिर जर्मनी में नियम बना कि सिर्फ उन्हीं सेवाओं में उन्हें मौके मिलेंगे, जहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता. हालांकि उसी साल यह नियम भी खत्म कर दिया गया और उन्हें सेना के हरेक क्षेत्र में सेवा देने का मौका मिलने लगा. जर्मन सेना बुंडसवेयर के मुताबिक इस समय सेना में 23,000 से ज्यादा सर्विस-विमेन अपनी सेवाएं दे रही हैं. इनमें अधिकारियों की संख्या 6,939 है. जर्मन सेना में काम करने वाले कुल सैनिकों की संख्या 181,514 है.

महिलाएं अब अपने किसी पुरुष सहकर्मी की तरह ही टैंक या बोट की कमांडर या फिर डॉक्टर या आईटी स्पेशलिस्ट के तौर पर सेवाएं दे सकती हैं. जर्मन सेना, महिला और पुरुष में सिर्फ एथलेटिक परफॉर्मेंस के आधार पर ही फर्क कर सकती है.

दुनिया के सिर्फ 9 देशों में ही महिलाओं को युद्धक अभियानों में जाने की अनुमति है. इनमें जर्मनी के अलावा अमेरिका, इस्राएल, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नॉर्वे, यूनाइटेड किंगडम, न्यूजीलैंड और कनाडा शामिल हैं.


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