लोकतन्त्र में राष्ट्रवाद की धारणा उसके आस्तित्व के लिए घातक है : प्रो. जगदीश्वर
देश के प्रखर साहित्यकार व स्तम्भकार प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी नेकहा है कि लोकतन्त्र की मजबूती व उसकी सुरक्षा जनता के अधिकारों की सुरक्षा पर निर्भर है

बाराबंकी। देश के प्रखर साहित्यकार व स्तम्भकार प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने कहा है कि लोकतन्त्र की मजबूती व उसकी सुरक्षा जनता के अधिकारों की सुरक्षा पर निर्भर है। लोकतन्त्र बचाना है तो व्यक्ति के चरित्र को गिरने से बचाना होगा।
प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी आज गांधी भवन मे लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा आयोजित "लोकतन्त्र के स्तम्भों की गिरती साख"आयोजित गोष्ठी मेंमुख्य वक्ता केतौर पर अपने विचार व्यक्त व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि लोकतन्त्र में राष्ट्रवाद की धारणा वह चाहे समाजवाद के नाम पर हो, साम्यवाद के नाम पर हो, या धर्म के नाम पर हो, वह उसके आस्तित्व के लिये घातक है। श्री चतुर्वेदी ने कहा लोकतन्त्र मे असहमति ही उसकी ताकत व बुनियाद है। लोकतन्त्र मे रहने वाले हर व्यक्ति को अपने व्यवहार मे मानवता के गुणो का समावेश करना होगा और एक-दूसरे के हितो की रक्षा करना होगा।
देश की वर्तमान अर्थ-व्यवस्था पर चिन्ता व्यक्त करते हुये श्री चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने देश की पूरी अर्थ-व्यवस्था को ही ध्वस्त कर डाला हैयह एक चिन्ता का विषय है। आज थोड़े से लोगों के पास ही अधिकांश सम्पत्ति है, शेष कंगाली की ओर बढ़ रहे हैं। लोकतन्त्र चल-सम्पत्ति से चलता है अचल सम्पत्ति से नहीं। वर्तमान सरकार ने देश की सारी चल सम्पत्ति बैंकों मे जमा करा दी, जिससे समाज का हर व्यक्ति प्रभावित हुआ।
आयोजित गोष्ठी में बृजमोहन वर्मा, लोकसंघर्ष पत्रिका प्रबन्ध सम्पादक रणधीर सिंह सुमन, सिटी इण्टर कालेज प्रधानाचार्य विजय प्रताप सिंह, डा. एस.एम.हैदर ने भी अपने विचार रखे।
संचालन मो. तारिक खान ने किया।
इस अवसर पर सेवानिृवत्त न्यायाधीश एम.ए.खान, जिला बार अध्यक्ष सुरेन्द्र बहादुर सिंह बब्बन, बृजेश दीक्षित, पं. राजनाथ शर्मा, जलील यार खान, इ. जहीन उल-कदर, जी मल कासिम, मो. मोहसिन, तालिब नजीब कोकब, फजल इनाम मदनी, निषाद अहमद, मो0 इखलाक, सरदार भूपिन्दर पाल सिंह शैन्की, उपेन्द्रसिंह , शैलेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह, डा. विकास यादव, वसीम राईन, दिलीप गुप्ता, कर्मवीर सिंह, पवन वर्मा, पवन वैश्य, पुष्पेन्द्रसिंह विजय प्रताप सिंह, आनन्द प्रताप सिंह, नीरज वर्मा, राजेन्द्र बहादुर सिंह राणा, अवधेश यादव, चैधरी वकार, कलीम यूसुफ आदि मौजूद रहे।


