Top
Begin typing your search above and press return to search.

हिमाचल में मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के लिए अगली चुनौती

हिमाचल प्रदेश में जीत दर्ज करने के बाद बिना किसी अंदरूनी कलह के मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के सामने अगली चुनौती है.

हिमाचल में मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के लिए अगली चुनौती
X

राज्य में कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह के परिवार की तरफ से आए बयानों की वजह से विवाद की आशंका बढ़ गई है. सिंह का परिवार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में आगे कर रहा है. वो इस समय राज्य में पार्टी की अध्यक्ष हैं और हिमाचल के मंडी से सांसद हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था.

मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए विधायक होना अनिवार्य नहीं होता है. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाला अगर विधायक नहीं है तो वह छह महीनों के अंदर चुनाव लड़ कर विधायक बन सकता है. इसके लिए पार्टी को किसी न किसी विधायक को इस्तीफा देने को कहना पड़ता है ताकि उसकी सीट पर उपचुनाव करवाए जा सकें और मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ने का मौका मिले.

इसके साथ साथ प्रतिभा सिंह को अगर मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो उन्हें मंडी लोक सभा सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा, जिसकी वजह से उस सीट पर भी उपचुनाव होगा. सिंह ने खुद को पद का दावेदार बताते हुए वीरभद्र सिंह की विरासत का हवाला दिया है.

वीरभद्र सिंह की विरासत

चुनाव नतीजों के सामने आने के बाद सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "लोगों ने हमें यह जनादेश वीरभद्र जी को श्रद्धांजलि के रूप में दिया है...मैं मुख्यमंत्री बन कर नेतृत्व कर सकती हूं."

उनके बेटे और शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक विक्रमादित्य सिंह ने उनकी दावेदारी का समर्थन किया. उन्होंने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा, "वो राज्य में पार्टी की अध्यक्ष हैं; उन्हीं की वजह से हम जीते हैं. अगर वाकई उन्हें (पद के लिए) चुनने की बात आती है, तो हम किसी भी जिम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार हैं."

दिलचस्प बात यह है कि विक्रमादित्य सिंह ने खुद उनके भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार होने से इंकार नहीं किया. उन्होंने कहा, "अगर पार्टी मुझे कोई जिम्मेदारी देती है तो मैं पीछे नहीं हटूंगा."

बन सकते हैं खेमे

इन दोनों के अलावा दो और नेता हैं जिन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है. इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खु और विधान सभा में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री शामिल हैं. सुक्खु इन चुनावों में कैंपेन समिति के अध्यक्ष भी थे.

तीनों नेताओं के अपने अपने समर्थक हैं और इनके बीच की प्रतिद्वंदिता कहीं पार्टी के लिए मुसीबत न बन जाए इसलिए चुनाव से पहले तीनों को अलग-अलग महत्वपूर्ण भूमिकाएं दे दी गई थीं.

लेकिन अब अगर तीनों मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी-अपनी दावेदारी जताएंगे तो पार्टी के तीन खेमों में बंट जाने का खतरा है. अब देखना होगा कि विधायक दल की बैठक में बिना किसी विवाद के मुख्यमंत्री का चयन हो पाता है या नहीं.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it