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जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव कम करने की जरूरत : थॉमस

वल्र्ड विजन इंडिया के सीईओ चेरियन थॉमस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का समुदायों, कृषि और जीवनयापन पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है

जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव कम करने की जरूरत : थॉमस
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नई दिल्ली। वल्र्ड विजन इंडिया के सीईओ चेरियन थॉमस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का समुदायों, कृषि और जीवनयापन पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप जैसी आपदाओं की वजह से हो रहा है जो देश के विकास और प्रगति को प्रभावित कर रहा है। वल्र्ड विजन इंडिया (डब्ल्यूवीआई) ने सोमवार से कंसोर्टियम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड नेचुरल एनवायर्नमेंट-ईएफआईसीओआर (इवानजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया कमीशन ऑन रीलिफ), इमैनुअल हॉस्पिटल एसोसिएशन (ईएचए) और एएफपीआरओ (एक्शन फॉर फूड प्रोडक्शन) के साझेदार संगठनों के साथ 'बिल्डिंग कम्युनिटीज रिसिलिएंट टू क्लामेट चेंज' पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया।

सम्मेलन में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त निदेशक रॉय थॉमस ने कहा, "कार्बन फास्टिंग और कार्बन में कटौती जैसी स्थायी प्रक्रियाएं जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए विकसित की जानी चाहिए जिन्हें समुदाय अपना सकें। पौधारोपण जैसी मामूली प्रक्रियाओं को समुदायों को बताया जाना चाहिए ताकि वे जलवायु को अपनाने और अपने बचाव में साझेदार बन सकें। इसलिए हमें सिर्फ नीति निर्माता नहीं बनना चाहिए, हमें वो चीजें करनी चाहिए जिनके हम उपदेश देते हैं।"

ईएफआईसीओआर (इवानजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया कमीशन ऑन रीलिफ) के निदेशक (प्रोग्राम्स) रमेश बाबू ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव और आपदा का प्रबंधन करना समय की जरूरत है। हमें समुदाय आधारित बचाव के मॉडल विकसित करने, नीतियों एवं प्रक्रियाओं के बीच के अंतर को कम करने और जलवायु परिवर्तन के संबंध में राज्य एवं जिला स्तरीय योजनाओं को सक्रिय तौर पर लागू करने की जरूरत है।"

कॉन्फ्रेंस का आयोजन 25 से 26 सितंबर के दौरान छह सत्रों में किया जाएगा। दो दिवसीय कॉन्फ्रें स में 'बदलते जलवायुवीय परिवेश में जलवायु के लिहाज से उचित कृषि एवं स्थायी जीवनयापन', 'ऊर्जा दक्षता एवं अक्षय ऊर्जा-ग्रामीण विकास के लिए उत्प्रेरक', 'सामुदायिक स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन', 'जलवायु की वजह से होने वाली आपदाओं के संबंध में सामुदायिक तैयारी एवं नवोन्मेषी प्रतिक्रिया मैकेनिज्म' पर सत्र शामिल हैं।

कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य देश के पिछड़े समुदायों के बीच सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना और जमीनी चुनौतियों एवं नीति निर्माण के लिए नवोन्मेषी विचार एवं समाधान मुहैया कराना है।


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