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 देश में शांति और सौहार्द्र की आवश्यकता - राठौर

मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौर ने आज कहा कि देश में वर्तमान में शांति, सौहार्द्र और भाईचारे की आवश्यकता है और इस दिशा में 'भावना योग' के जरिए भी बढ़ा जा सकता है।

 देश में शांति और सौहार्द्र की आवश्यकता - राठौर
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भोपाल। मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौर ने आज कहा कि देश में वर्तमान में शांति, सौहार्द्र और भाईचारे की आवश्यकता है और इस दिशा में 'भावना योग' के जरिए भी बढ़ा जा सकता है।

श्री राठौर ने यहां दिगंबर जैन मुनिश्री प्रमाण सागर के सान्निध्य में प्रारंभ हुए तीन दिवसीय 'भावना योग' शिविर के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। स्थानीय शक्ति नगर के सुभाष खेल मैदान में प्रारंभ हुए शिविर में शामिल हजारों लोगों को संबोधित करते हुए श्री राठौर ने कहा कि वर्तमान दौर में सभी लोगों के मिलजुलकर रहने की आवश्यकता है। जरूरत है कि सभी धर्म और जाति के लोग आपसी प्रेम और भाईचारे के साथ रहें। इस दिशा में मुनिश्री के वचनों और भावना योग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

श्री राठौर शिविर में लगभग एक घंटे तक रुके और शिविर का हिस्सा भी बने। समारोह में मुनिश्री अरह सागर महाराज के अलावा भोपाल के पूर्व सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता आलोक संजर भी मौजूद थे। शिविर प्रात: सात बजे प्रारंभ होकर नौ बजे तक चलेगा। इस दौरान 'भावना योग' के प्रणेता मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज, योग की इस विधा को समझाते हुए इसका प्रदर्शन करवा रहे हैं।

मुनिश्री प्रमाण सागर ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में योग की अनेक विधाएं मौजूद हैं। मौजूदा दौर में मनोविज्ञान के क्षेत्र में चर्चित हो रहे 'ऑटोसजेशन' और 'लॉ ऑफ अट्रेक्शन' पश्चिम की देन हैं, लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति में यह विधाएं विभिन्न रूपों में पुराणों में दर्ज हैं। इसी को नए रूप में उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों के साथ 'भावना योग' के रूप में पेश किया है। मुनिश्री ने बताया कि उन्होंने आधुनिक मनोविज्ञान को जैन साधना पद्धति के साथ संबद्ध कर भावना योग बनाया है।

मुनिश्री के अनुसार इसका सार यही है कि मनुष्य, पवित्र मन और उद्देश्य के साथ सकारात्मक और सभी के कल्याण की बातें लगातार सोचे और प्रतिदिन बृह्म मुहुर्त या प्रात:काल इसका उच्चारण करे, तो संबंधित मनुष्य अपने लक्ष्य को अवश्य हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा भौतिकवाद के दौर में करोड़ों लोग अवसाद्रस्त हैं और भावना योग के जरिए इस मनोवैज्ञानिक रोग से मुक्ति पायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि लगातार सकारात्मक सोचने से बेहतर और नकारात्मक सोचने से दुखद परिणाम सामने आते हैं।


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