भूमि विकास बैंक के टॉप डिफॉल्टर राजनेताओं के नाम बताएं वित्तमंत्री: संपत सिंह
पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह ने आज वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें वित्तमंत्री ने कहा था कि हरियाणा के भूमि विकास बैंक नेताओं की तिजोरी

हिसार। पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. संपत सिंह ने आज वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें वित्तमंत्री ने कहा था कि हरियाणा के भूमि विकास बैंक नेताओं की तिजोरी बन रहे हैं।
संपत सिंह ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री इस बैंक को बंद करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को टॉप डिफॉल्टर राजनेताओं के नाम व पते बताने चाहिएं। उन्होंने कहा कि आम किसान की बजाय ऐसे बड़े डिफाल्टरों के खिलाफ वसूली के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा कि 27 जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इन बैंकों की कार्यशैली का अवलोकन करने के लिए एक बैठक हुई थी और इस बैठक में वित मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने हरियाणा कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक को बंद करने की जोरदार वकालत की थी। श्री सिंह ने कहा कि यही बैंक किसानों को भूमि खरीदने, ट्रैक्टर खरीदने, टयूबवैल लगाने, बागवानी, डेयरी, पोल्ट्री लगाने के लिए आदि कृषि से संबंधित सेवाओं के लिए लंबी अवधि के लिये सस्ते ब्याज पर कर्ज देता है।
सिंह ने कहा कि हरियाणा सरकार को लाखों किसानों के हित में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के पास हरियाणा भूमि विकास बैंक को लोन देने के लिए जोरदार वकालत करनी चाहिए क्योंकि यह बैंक जीवित रहेंगे तो किसान भी जीवित रहेंगे। श्री सिंह नेे कहा कि वित्त मंत्री को मालूम होना चाहिए कि कारोबारियों तो अपने कारोबार के लिए दूसरे व्यवसायिक बैंकों से लोन मिल सकता है, परंतु किसान को केवल मात्र यही बैंक लंबी अवधि के लिए सस्ते ब्याज पर लोन देता है।
इस बैंक को बंद करने से किसानों के लिए लंबी अवधि के कर्ज लेने की सभी सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि जो आंकड़े प्रतिवर्ष वसूली के दिए गए हैं उनसे स्पष्ट लगता है कि वर्तमान सरकार ने वसूली में कोई प्रयास नहीं किया है और न ही किसानों को लोन दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011-12 में 55.68 प्रतिशत वसूली थी। वर्तमान सरकार में यह वसूली हर वर्ष कम होती रही है।
वित्तीय वर्ष 2014-15 में 28.23 प्रतिशत, 2015-16 में 27.18 प्रतिशत, 2016-17 में 11.88 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2017-18 में 16.41 प्रतिशत वसूली हो पाई है जिससे स्पष्ट है कि सरकार अपनी विफलता की झेंप मिटाने के लिए ऐसे बयान दे रही है। उन्होंने सरकार को चेताया कि यदि किसानों की इस सुविधा को खत्म किया गया तो उनकी कांग्रेस इसका जोरदार विरोध करेगी।


