मुंबई जाकर भाजपा के लिए काम करने का मन : नाईक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का कार्यकाल पूरा हो चुका है। नाईक ने यहां से मुंबई जाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सक्रिय सदस्य के रूप में काम करने का मन बनाया है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक का कार्यकाल पूरा हो चुका है। नाईक ने यहां से मुंबई जाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सक्रिय सदस्य के रूप में काम करने का मन बनाया है।
उन्होंने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "पहले मैं जब राजनीति में सक्रिय था। तो जनप्रतिनिधि के रूप में था। 2014 के पहले मैंने घोषणा की थी कि मैं अब कभी चुनाव नहीं लड़ूगा। 2014 में मैंने तत्कालीन के सांसद गोपाल शेट्टी के एजेंट तौर पर काम किया था। राज्यपाल बनने से पहले मैंने भाजपा से इस्तीफा दिया। यहां से जाने के बाद सबसे पहले भाजपा का सदस्य बनूंगा। इसके बाद पार्टी जो काम देगी उसे करूंगा, लेकिन मैं चुनाव नहीं लडूंगा।"
राम नाईक ने कहा, "पांच साल में मेरे ऊपर किसी प्रकार का आरोप नहीं लगा है। हां, ऐसे कुछ लोग हैं जिन्हें कुछ गलत बोलने की आदत है। ऐसे लोगों को छोड़ दिया जाए तो मेरे ऊपर किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया है। मेरे बारे में कौन क्या बोलता है, उससे मुझ पर कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं राजनीतिक बयान पर टीका-टिप्पणी नहीं करता।"
उन्होंने कहा, "सांविधानिक रूप से दोनों ही सरकारें हमारी थीं और दोनों को पूरी ईमानदारी से सुझाव दिए। यहां आने से पहले अखिलेश की सरकार थी। उनसे मेरे व्यवाहार अच्छे रहे हैं। उन्होंने संविधान के विरोध में काम करने का प्रयास किया था, जिसे मैंने रोका था। उन्होंने विधान-परिषद में कुछ ऐसे सदस्यों की सूची भेजी थी, जिसे मैंने रोक दिया था। उन्हें मैंने कारण भी बताया था।"
राम नाईक ने कहा, "अखिलेश यादव से मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं। ठीक उसी प्रकार अब उप्र सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ औसतन 15 दिन के अंतराल पर काम-काज व मुलाकात के लिए आते रहते हैं। पत्र व्यवहार होने के साथ ही मैं उन्हें भी सुझाव देता रहता हूं जिन पर अमल होता भी दिखाई देता है। वह मुझे कार्यक्रमों बुलाते रहते हैं। वास्तव में राज्यपाल अपने सांविधानिक दायित्व को सकारात्मक दृष्टिकोण से निभाते हुए केंद्र व राज्य सरकार के बीच सेतु की भूमिका में रहता है।"
उन्होंने कहा, "इन पांच सालों मैं 30 हजार से अधिक लोगों से प्रत्यक्ष मिला। 1800 से अधिक सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया है। सभी जिलों में मैंने भ्रमण किया है। यहां से जो प्यार मिला है, उससे मैं अभिभूत हूं। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। मुझे जो काम दिया गया, मैंने बहुत प्रसन्नता से किया है। इसलिए बहुत खुशी से जा रहा हूं।"
नाईक ने कहा, "मैं 28 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति हूं। शैक्षिक सत्र नियमित होने के साथ ही अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है। सुधार के संबंध में सरकार को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। नकल विहीन परीक्षाएं हो रही हैं। रिक्त पद भरे जा रहे हैं। कुलपतियों का कार्यकाल तीन से पांच वर्ष करने का भी प्रस्ताव है।"
उन्होंने बताया कि सभी विश्वविद्यालयों में सत्र नियमित किए गए। परीक्षा और पढ़ाई की गुणवत्ता कायम की गई। प्रत्येक विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित होने लगे। कुलपतियों के वार्षिक सम्मेलनों की शुरुआत हुई है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार आगे भी जारी रहेगा और शोध को बढ़ावा मिलेगा।
नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश बढ़े और सफल हो, यही उनका आह्वान है। उच्च शिक्षा में सुधार के लिए उन्होंने कई प्रयास किए।
राम नाईक ने बताया कि राजभवन के दरवाजे पहले की ही तरह सभी के लिए खुले हैं। समस्याओं को लेकर आने वालों के साथ ही धन्यवाद देने वालों की संख्या पहले से बढ़ी है। हां, इतना जरूर है कि यहां आने वालों के भाव में अंतर दिखता है।
राम नाईक का जन्म 16 अप्रैल, 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। वह सन् 1959 में भारतीय जनसंघ से जुड़ थे और भाजपा मुंबई के तीन बार अध्यक्ष रहे। सन् 1978 में पहली बार विधायक बने, तीन बार विधायक और फिर पांच बार सांसद चुने गए।
नाईक अटल सरकार में वर्ष 1999 से 2004 तक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री रहने के साथ ही केंद्रीय रेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। गृह, योजना, संसदीय कार्य राज्यमंत्री भी रहे हैं। 25 सितंबर, 2013 को चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी पर विजय हासिल की। वह वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बने थे।


