प्रवासी पक्षियों का छिना आवास कभी थे 731 वेटलैंड अब बचे सिर्फ छह
पांच लाख से ज्यादा पक्षियों का प्राकृतिक आवास कंस्ट्रक्शन की भेट चढ़ चुका है
नोएडा। पांच लाख से ज्यादा पक्षियों का प्राकृतिक आवास कंस्ट्रक्शन की भेट चढ़ चुका है। यह तथ्य आंकड़े बया कर रहे है। जनपद में 2006 में 731 वेटलैंड थे। 2006 तक इनकी संख्या घटकर महज छह रह गई। इनका स्थान रिहाएशी इमारतों बहुंमजिला मॉल्स ने ले ली। पक्षियों का आवास छिन गया। उनकी संख्या भी घटकर कुछ हजार ही रह गई। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी सुध नहीं है।
पक्षी प्रेमी आंनद आर्या ने बताया कि वर्ष 2006 में जनपद से 731 वेटलैंड की जानकारी सरकार को भेजी गई। महज एक साल में आरटीआई के जरिए वेटलैंड की जानकारी मांगी गई। चौकाने वाले तथ्य सामने आए। महज एक साल में इनकी संख्या घटकर 19 बची। 2010 में दोबारा आरटीआई से जवाब मांगा गया। जिसमे वेटलैंड की संख्या महज 6 बची। सीधे शब्दो में यू कहे कि पांच लाख से ज्यादा पक्षियों के आवास को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। यही हाल मौजूदा ओखला पक्षी विहार की भी है। यहा गत चार माह से किसी भी तरह का विकास नहीं किया गया। झील में मवेशियों ने कब्जा कर रखा है। पेड़ व सड़कों का हाल बेहाल है। रख-रखाव के अभाव में इसका अस्तिव खतरे में है। आनंद आर्या ने बताया कि 2010 में दादरी वेटलैंड में पक्षियों की गणना की गई। यहा प्रवासी पक्षियों की संख्या एक लाख थी। इसे वेटलैंड की संज्ञा से ही हटा दिया गया।
फिलहाल अभी शहर में दो बड़े वेटलैंड मौजूद है। पहला ओखला पक्षी विहार जबकि दूसरा धनौरी। दोनों ही स्थानों पर कंस्ट्रक्शन व यातायात बहुतायत है। ऐसे मेें पक्षियों ने अपना रूख यहा से मोड़ लिया है। आंकड़ों को देखे तो ओखला पक्षी विहार में तीन लाख पक्षी प्रवास के लिए आते थे। जिसमे अधिकांश संख्या साइबेरियन पक्षियों की थी। गत वर्ष यहा महज 23 हजार पक्षी प्रवास के लिए पहुंचे। जिसमे अधिकांश पक्षी यही लोकल के ही थे। साइबरेरियन पक्षी इस बार यहा नहीं पहुंचे। जनपद में 10 हेक्टेयर का वेटलैंड यमुना गौड़ सिटी में मौजूद था। लेकिन यह वेटलैंड गायब हो गया। यहा अब न तो पक्षियों के लिए जमीन बची है और न ही प्रवास के लिए कोई अनुकूल वातावरण।


