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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की बैठक जल्द : के सी त्यागी

के सी त्यागी ने आज कहा कि विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के विरुद्ध साझा उम्मीदवार उतारने के विचार पर लगभग सहमत हैं और इसे ठोस रूप देने के लिये जल्द ही उनकी बैठक हो सकती है

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की बैठक जल्द : के सी त्यागी
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नयी दिल्ली। जनता दल (यू) के महासचिव के सी त्यागी ने आज कहा कि विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के उम्मीदवार के विरुद्ध साझा उम्मीदवार उतारने के विचार पर लगभग सहमत हैं और इसे ठोस रूप देने के लिये जल्द ही उनकी बैठक हो सकती है।

त्यागी ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दल के नेता एक दूसरे से संपर्क में हैं तथा अब तक हुयी बातचीत में सभी विपक्षी दल इस बात पर सहमत नजर आ रहे हैं कि भाजपा के उम्मीदवार के विरुद्ध विपक्ष एक साझा उम्मीदवार उतारे।

उन्होंने कहा कि इसी माह विपक्षी दलों की एक बैठक होगी जिसमें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए एक नाम पर सहमति बनाने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति के प्रत्याशी के नाम पर अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है।

उल्लेखनीय है कि कल प्रसिद्ध समाजवादी नेता मधु लिमये की जयंती पर जुटे विपक्षी दल के नेताओं ने सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिये धर्मनिरपेक्ष दलों की एकजुटता पर बल दिया था। उनका कहना था कि आगामी जुलाई में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव विपक्षी एकता का पहला कदम होना चाहिये।

त्यागी ने कहा कि सबसे बड़ा दल होने के नाते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस दिशा में पहल करनी चाहिये। जनता दल यू के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतारने को लेकर श्रीमती गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से बातचीत की है।

कुमार ने संयुक्त विपक्ष के एक उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर आधार तैयार किया है तथा अधिकांश गैर भाजपा दल इससे सहमत हैं। उन्होंने कहा कि हमारा डर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बनता है तो संविधान और आरक्षण की समीक्षा की जायेगी।

उन्होंने कहा कि संविधान के मूल ढांचे में धर्मनिरपेक्षता को प्रमुखता दी गयी है और सभी धर्मों के लोगों को अपने-अपने तरीके से पूजा एवं उपासना की इजाजत दी गयी है। संघ की सोच के व्यक्ति के राष्ट्रपति बनने पर लोगों के पूजा और उपासना करने की भी समीक्षा की जा सकती है। इससे देश एक दल की तानाशाही की ओर अग्रसर हो जायेगा।

जद यू नेता ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान संविधान की समीक्षा करने की जरूरत बतायी थी। संघ के कुछ प्रमुख नेता भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण की समीक्षा करने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर ऐसे व्यक्ति का होना जरूरी है जो संवैधानिक मान्यताओं का पालन करे।


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