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पक्षकारों के बीच विवादों का निराकरण ही कार्यक्रम की सार्थकता: जस्टिस दिवाकर

विगत सालों में प्रशिक्षित न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ता मध्यस्थों के लिये यह रिफ्रेशर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है

पक्षकारों के बीच विवादों का निराकरण ही कार्यक्रम की सार्थकता: जस्टिस दिवाकर
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर एवं कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में मिडियेशन एण्ड काउंसिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी नई दिल्ली के निर्देशानुसार आज राज्य के न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं हेतु आयोजित होने वाले 20 घंटे का मिडियेशन रिफ्रेशर प्रोग्राम का शुभारंभ न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के सभागाकर में शुभारंभ किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य आसंदी से संबोधित करते हुए न्याममूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि पिछले सप्ताह 40 घंटे का मिडियेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम न्यायिक अधिकारियों के लिए इस तरह का यहाँ मिडियेशन कार्यक्रम संपन्न हुआ है।

उन्होंने कहा कि विगत सालों में प्रशिक्षित न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ता मध्यस्थों के लिये यह रिफ्रेशर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से प्रशिक्षणार्थी को अपने ज्ञानच्छु खोलने एवं उन्हें अपने आप को मूल्यांकन करने का अवसर प्राप्त होता है। प्रशिक्षण से प्राप्त नवीन जानकारी को मध्यस्थता की कार्यवाही में अमल में लाकर पक्षकारों के बीच उनके विवादों का निराकरण करेंगे तभी प्रशिक्षण कार्यक्रम की सार्थकता सिद्ध होगी।

आगे कहा कि प्रशिक्षणार्थी जो सीख रहे हैं उसे रिटेन करें। बहुत से अच्छे निर्णय मिडियेशन पर आये हैं। उन निर्णयों को ध्यान से पढ़ेंगे जिससे नये तरीके से मुकदमें निर्धारित किये जा सकते हैं। मिडियेशन से मामले निराकृत करने पर वकीलों के रोजी-रोटी में फर्क आयेगा, यह गलत धारणा है।

पक्षकारों का मिडियेशन पर विश्वास बढ़ाना है तथा उन्हेें यह बताने की जरूरत है कि मिडियेशन करने से उन्हें त्वरित न्याय मिलेगा। न्यायाधीश ने प्रशिक्षणार्थी वकीलों से कहा कि मिडियेशन प्रशिक्षण उपरांत आप अपने प्रोफेशनल को सार्थक करेंगे, जिससे लोगों को न्याय मिलेगा।

न्यायाधीश ने हॉस्पिटल का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार हॉस्पिटल में ओ.पी.डी. एवं सर्जरी दोनों होनी चाहिए तभी मरीज को सभी ईलाज मिलेगा, उसी प्रकार मिडियेशन में भी कौन से प्रकरण मिडियेशन में निराकृत हो सकता है, इस तरह मिडियेशन सेंटर की भूमिका हॉस्पिटल की ओ.पी.डी. की तरह है, जिसे यह देखना है कि कौन-सा प्रकरण मिडियेशन के माध्यम से निराकरण योग्य है तथा कौन-सा मामला न्यायालयीन निर्णय के माध्यम से निराकरण योग्य है। उन्होंने अपेक्षा की इस 20 घंटे के प्रशिक्षण का लाभ न्यायाधीश, अधिवक्ता एवं पक्षकारों को अवश्य प्राप्त होगा।

कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति पी.सैम कोशी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में रिफ्रेशन कोर्स को परिभाषित करते हुए कहा कि रिफ्रेशर कोर्स इज ओनली फॉर रिफ्रेश नॉलेज, हमें रिफ्रेशर कोर्स के माध्यम अपने आप को अद्यतन करना है।

आप लोगों ने 40 घंटे की मध्यस्थता प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत पिछले सालों में मध्यस्थ के रूप मध्यस्थता की कार्यवाही की है। इस रिफ्रेशर सत्र में हम अपने पिछले अनुभवों को आपस में बांटते हुए अपने आप को अपग्रेड करना है।

ताकि हम आगे से अधिक प्रकरणों को मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत करते हुए न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के भार को कम कर सकने के साथ ही शीघ्र न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में सहयोग कर सकते है।

उपरोक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के सदस्य न्यायमूर्ति आर.सी.एस.सामंत ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूर्व में 40 घंटे की मिडियेशन प्रशिक्षण के पश्चात् मध्यस्थता कार्यवाही में क्या कठिनाईयाँ हैं, क्या विशेष उपलब्धियाँ रही, इस संबंध में चर्चा कर प्रशिक्षकों के अनुभव एवं सुझाव को ग्रहण कर मध्यस्थता के क्षेत्र में हमें अपने आप को बेहतर मध्यस्थ के रूप में स्थापित करना है ताकि इसका अधिक-से-अधिक लाभ पक्षकारों को मिल सके।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण दीपक कुमार तिवारी, रजिस्ट्रार (विजिलेंस), सचिव कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर के द्वारा दिया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन विवके कुमार तिवारी, सदस्य सचिव छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन श्वेता श्रीवास्तव, अवसर सचिव के द्वारा किया गया।

उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण देते हेतु ऑब्जर्वर के रूप में व्ही.पी. जोहरी (दिल्ली) से पोटेशिंयल ट्रेनर के रूप में एल.के.गिरी, तरीत बरनकर, राजेश दास झारखंड से आये हैं। उपरोक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनाँक 5 से 7 जुलाई 2018 तक चलेगा, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों से 12 न्यायिक अधिकारीगण एवं 13 अधिवक्तागण शामिल हुए हैं।


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