Top
Begin typing your search above and press return to search.

बहनों के सुख, प्रसन्नता और प्रगति में ही मेरे जीवन की सार्थकता : शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बहनों के सुख, प्रसन्नता और प्रगति में ही मेरे जीवन की सार्थकता है

बहनों के सुख, प्रसन्नता और प्रगति में ही मेरे जीवन की सार्थकता : शिवराज
X

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बहनों के सुख, प्रसन्नता और प्रगति में ही मेरे जीवन की सार्थकता है। श्री चौहान भाईदूज पर प्रदेश की महिला स्व-सहायता समूह की बहनों से निवास कार्यालय से वर्चुअली संवाद कर रहे थे। उन्होंने बहनों को दीपावली की शुभकामनाएं दी और जाना कि धनतेरस का त्यौहार कैसा रहा और बहनों ने क्या-क्या खरीदा। संवाद कार्यक्रम से सभी जिला मुख्यालयों से समूह की बहने जुड़ी।

श्री चौहान ने राजगढ़, मण्डला, शहडोल, रीवा और देवास की बहनों से बातचीत की। निवास कार्यालय पर प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास उमाकांत उमराव भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व सहायता समूह की बहनों ने अपनी कार्य-क्षमता, परिश्रम और लगन से इतिहास रचा है। घूंघट में रहने और चूल्हे-चौके तक सीमित बहने आज स्व-सहायता समूह से आत्म-निर्भर हुई हैं और स्वयं दुकानों से लेकर वाहन तक चला रही हैं। उनके जीवन में आया सकारात्मक बदलाव और उनकी प्रगति हम सबके लिए प्रसन्नता का विषय है। समूहों की बहनों की यह पहल अनुकरणीय है।

श्री चौहान ने कहा कि समूह से प्रगति की राह पर अग्रसर बहने निरंतर गतिविधियों का विस्तार करें, इस उद्देश्य से राज्य शासन सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ कर रहा है। समूहों को स्कूलों के गणवेश बनाने का दायित्व सौंपा गया है। इस कार्य में समूह की बहने कपड़ा खरीदने तथा अन्य प्रक्रियाओं के संबंध में किसी के बहकावे में न आएँ। समूह की गतिविधियों के संबंध में बहनों द्वारा स्वयं निर्णय लिया जाए। समूह का लोन चुकाने के बाद अधिक लोन लेने के लिए बैंक में आवेदन करें और अपनी गतिविधियों का निरंतर विस्तार करें। उन्होंने सभी समूहों को पोषण वाटिका विकसित करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक शासकीय खरीदी स्व-सहायता समूहों से कराने के लिए प्रयास जारी हैं। समूहों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे समूह की गतिविधियाँ और आय बढ़ेंगी। हमें यह प्रयास करना है कि समूह के उत्पादों की मांग देश के साथ दुनिया में भी हो। उन्होंने बहनों से आजीविका मिशन के 13 सूत्र और 30 बिन्दुओं का निरंतर अनुसरण करने का आह्वान किया।

श्री चौहान से वर्चुअल संवाद में राजगढ़ जिले की राधास्वामी स्व-सहायता समूह की राधा पाल ने बताया कि उन्होंने धनतेरस पर बोलेरो जीप खरीद कर अपने ड्राइवर पति को गाड़ी मालिक बना दिया है। अब प्रतिमाह लगभग 20 हजार रूपए आय हो गई है। श्रीमती पाल ने बताया कि समूह की अन्य सदस्यों ने भी धनतेरस पर स्कूटी और आभूषण आदि क्रय किए हैं।

मण्डला के सुंदरिया महिला आजीविका स्व-सहायता समूह की ललिता यादव ने बताया कि उन्होंने धनतेरस पर 8 लाख की लागत से टाटा तूफान वाहन खरीदा है। वे अब तक समूह से लोन लेकर कपड़े की दुकान चलाती थी। वाहन से अब वे बच्चों को स्कूल लाने ले जाने का कार्य करती हैं। वैन संचालन से उनकी मासिक आय में वृद्धि हुई है।

शहडोल के दुर्गा स्व-सहायता समूह की माया पटेल ने अपने बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए धनतेरस पर लेपटॉप खरीद कर दिया है। श्रीमती माया गर्व से बताती हैं कि उनका बेटा ऑटोकेड का प्रशिक्षण लेना चाहता है। वे स्व-सहायता समूह के माध्यम से सेन्ट्रिंग का कार्य करती हैं। इससे बढ़ी आय से ही बेटे की आगे की पढ़ाई संभाव हो पायी।

रीवा के इमाम अहमद रजा स्व-सहायता समूह की रेशमा बानो बर्तन और जूते-चप्पल की दुकान संचालित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली पर 5 दिन में उन्होंने एक लाख 15 हजार रूपए का व्यवसाय किया, जिसमें बर्तन की दुकान पर धनतेरस के दिन 55 हजार रूपए की बिक्री हुई।

देवास के राधा कृष्णा स्व-सहायता समूह की रमा चावले ने धनतेरस पर पुराना वाहन बेच कर साढ़े सात लाख रूपए में नया पिकअप वाहन खरीदा है। श्रीमती रमा के पति पहले मजदूरी करते थे, पिकअप वाहन खरीदने से अब वे स्वयं वाहन चलाने लगे हैं। अब उनकी मासिक आय 25 से 30 हजार रूपए हो गई है। पति के मजदूर से गाड़ी मालिक बनने के इस सफर से परिवार का आत्म-विश्वास भी बढ़ा है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it