आप नेताओं ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ शुरू की मोर्चाबंदी
आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चेबंदी पर लगी हुई है

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चेबंदी पर लगी हुई है और आज पार्टी के नेता एवं नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को बोलने का और अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया और तुगलकी फरमान सुना दिया। चुनाव आयोग ने 23 जून 2017 को लिखित में कहा था कि वो आम आदमी पार्टी के विधायकों को सुनवाई के लिए बुलाएंगे लेकिन आयोग ने ऐसा नहीं किया और फैसला सुना दिया। उन्होंने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर फैसला देने वाले एके जोति ने दबाव में आकर फैसला दिया है।
उन्होंने दावा किया कि आप सरकार दिल्ली के लोगों के लिए बेहतरीन काम कर रही है, इसलिए सहन नहीं हो रहा और दिल्ली की जनता के बहुमत को भी नकारने का काम भारतीय जनता पार्टी संवैधानिक संस्थाओं के माध्यम से गलत रास्ता अपना कर करा रही है।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चढ्डा ने कहा कि कैसे मोदी सरकार की तरफ़ से आम आदमी पार्टी के खिलाफषडयंत्र रचे जा रहे हैं उसकी एक बानगी आप के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले से मिल जाती है। चुनाव आयोग ने जिस तरह से फ़ैसला दिया है वो अपने आप में देश का अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें चुनाव आयोग ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर एकतरफा सुनवाई की और मामले में जिन पर आरोप लगाया गया था उन्हें उनका पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया।
आप नेताओं ने आरोप लगाया कि ओपी रावत ने आप के विधायकों के इस मामले से अपने आप को दूर कर लिया था वो आखिरी छह महीने में फिर से इस मामले में शामिल हुए और आयोग की रिपोर्ट में उन्होंने भी हस्ताक्षर कर दिएए ऐसा क्यों हुआ, इसका कारण समझ से परे है। यहां तक कि रिपोर्ट में नसीम जैदी के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त बने सुनील अरोड़ा के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं जिन्होंने विधायकों की इस फाइल को कभी देखा भी नहीं और वो इस मामले से पूरी तरह से अनभिज्ञ रहे। आम आदमी पार्टी को भारत की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा जताते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि हमें न्यायालय से राहत मिलेगी।


