Top
Begin typing your search above and press return to search.

रूस और अमेरिका, दोनों के नेता पहुंच रहे हैं भारत

रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव इस हफ्ते भारत की यात्रा पर आने वाले हैं.

रूस और अमेरिका, दोनों के नेता पहुंच रहे हैं भारत
X

यूक्रेन संकट ने भारत को विश्व के दोनों ध्रुवों के बीच अहम भूमिका में ला खड़ा किया है. रूस और अमेरिका दोनों ही भारत को अपने पक्ष में रखने की कोशिशें कर रहे हैं. एक तरफ जहां रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव भारत आ रहे हैं, वहीं अमेरिका ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के आर्थिक मामलों के उप सलाहकार दलीप सिंह भारत जाएंगे.

भारत रूसी सामान के सबसे बड़े खरीददारों में से एक है और अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते रूस के लिए उसकी जरूरत और बढ़ गई है. भारत का साथ सुनिश्चित करने के मकसद से सर्गेइ लावरोव इस हफ्ते भारत की यात्रा पर जाएंगे. भारत ने ना तो यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की आलोचना की है और ना ही संयुक्त राष्ट्र में उसके खिलाफ मतदान में हिस्सा लिया. उसने रूस से व्यापार भी जारी रखने की बात कही है. हालांकि भारत सरकार ने दोनों पक्षों से फौरन हिंसा रोकने और बातचीत से विवाद सुलझाने की अपील की है.

ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत रूस के साथ अपने व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों में किसी तरह की कटौती करेगा. उसने हाल ही में कई बड़े समझौते किए हैं. ऐसे में लावरोव की यात्रा को भविष्य की रणनीति तय करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. कुछ जानकारों का कहना है कि दोनों देश नई भुगतान व्यवस्था पर बातचीत कर सकते हैं क्योंकि पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते रूसी बैंकों का सामान्य लेनदेन प्रभावित हुआ है.

लावरोव की भारत यात्रा का मकसद

24 फरवरी को रूसी सेना के यूक्रेन में घुसने के बाद से लावरोव की यह तीसरी विदेश यात्रा होगी. पहले वह तुर्की गए थे जहां यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता चल रही है. इसी गुरुवार को लावरोव के चीन दौरे की योजना है. उसके बाद शुक्रवार को वह नई दिल्ली पहुंचेंगे.

रूस भारत को हथियारों और अन्य सामरिक साज ओ सामान का सबसे बड़ा सप्लायर है. हालांकि दोनों देशों के बीच कुल व्यापार का आकार बहुत बड़ा नहीं है. बीते कुछ सालों में दोनों देशों के बीच सालाना औसतन नौ अरब डॉलर का ही व्यापार हुआ है जिसमें खाद और तेल प्रमुख हैं. इसके मुकाबले भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार सालाना 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा है.

लेकिन रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद से ही भारत रूस से 1.30 करोड़ बैरल तेल खरीद चुका है जबकि पिछले पूरे साल में भारत ने रूस से 1.6 करोड़ बैरल तेल खरीदा था. वैसे, रूस से तेल और अन्य ऊर्जा उत्पाद खरीदने वालों में भारत अकेला नहीं है. कई यूरोपीय देश भी रूस से गैस और तेल खरीद रहे हैं.

दलीप सिंह का भारत दौरा

व्हाइट हाउस ने कहा है कि दलीप सिंह रूस के "अन्यायपूर्ण युद्ध के नतीजों और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इसके असर के बारे में” भारतीय नेताओं से चर्चा करेंगे. रूस पर भारत के रूख को लेकर अमेरिका बहुत खुश नहीं है. पिछले हफ्ते ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि क्वॉड देशों में भारत ही है जो रूस के खिलाफ कार्रवाई में "थोड़ा गड़बड़ा” रहा है.

भारत रूस से कोयले का आयात भी रख सकता है जारी

रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के मामले में दलीप सिंह की अहम भूमिका रही है. भारतीय मूल के अमेरिकी दलीप सिंह ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था, "अमेरिका और हमारे सहयोगी व साझीदार रूस को अलग-थलग करने के लिए तब तक कोशिश करते रहेंगे जब तक कि वह यूक्रेन के खिलाफ अपने निर्दयी युद्ध को बंद नहीं करता.”

जाहिर है, अपनी इस कोशिश में दलीप सिंह भारत को साथ लाने में अब तक कामयाब नहीं हो पाए हैं. उनसे पहले तीन और अमेरिकी राजनयिकों ने भारत का दौरा किया था. पिछले हफ्ते राजनीतिक मामलों की उप मंत्री विक्टोरिया नुलैंड, दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के उप मंत्री डॉनल्ड लू और रक्षा नीति उप मंत्री अमांडा डोरी ने भारत की यात्रा की थी.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it