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फूलो का हत्यारा निकला आरक्षक सेठिया

जगदलपुर ! पुलिस ट्रांजिट हास्टल में समर्पित नक्सली व महिला सहायक आरक्षक फूलो मरकाम की संदिग्ध मौत के मामले का पटाक्षेप हो गया है।

फूलो का हत्यारा निकला आरक्षक सेठिया
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न्यायिक हिरासत पर भेजा गया जेल
घटना के 4 दिन बाद पुलिस ने किया खुलासा
चरित्र पर संदेह के चलते की थी महिला सहायक आरक्षक की हत्या

जगदलपुर ! पुलिस ट्रांजिट हास्टल में समर्पित नक्सली व महिला सहायक आरक्षक फूलो मरकाम की संदिग्ध मौत के मामले का पटाक्षेप हो गया है। पुलिस ने उसके साथ लिव इन रिलेशन में रहने वाले डीआरजी के आरक्षक दिलीप सेठिया के खिलाफ सोमवार को हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। रविवार के अंक में संदेही आरक्षक के विरूद्घ मामला पंजीबद्घ होने की आशंका जताते प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी।
ज्ञात हो कि गुरूवार को पुलिस सामुदायिक भवन के कक्ष क्रमांक एक में समर्पित नक्सली व सहायक आरक्षक फूलो मरकाम का रक्तरंजित शव पाया गया था। मामले में उसके साथ रहने वाले डीआरजी के आरक्षक दिलीप सेठिया पर शक की सुई घूम रही थी। प्रारंभिक जांच में पुलिस इसे आत्महत्या से जोडक़र देख रही थी लेकिन मामला गरमाने के बाद आखिरकार डीआरजी के आरक्षक दिलीप सेठिया को गिरफ्तार किया गया। मामले का खुलासा करते सोमवार शाम सीएसपी श्रीमती मोनिका ठाकुर ने बताया कि फूलो मरकाम पूर्व में नक्सली थी। उसने सरेंडर किया था। अगस्त 2016 में उसे विभाग द्वारा सहायक आरक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई थी। वह पुलिस सामुदायिक भवन के कक्ष क्रमांक एक में रहती थी। डीआरजी के जवान दिलीप सेठिया का मृतका के साथ संबंध था। दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे। गुरूवार शाम 7 बजे दिलीप सेठिया नशे की हालत में दो अन्य आरक्षकों आशाराम मंडावी व देवकुमार के साथ सामुदायिक भवन पहुंचा। वहां रहने वाले अन्य गोपनीय सैनिकों को गाली गलौच करते धमकाया जिससे सभी सैनिक भयभीत होकर अपने कमरों में दुबक गए। रात करीब 10 बजे फूलो के कमरे से उसके चीख-पुकार की आवाज आई। थोड़ी देर बाद फूलो के कमरे के बगल में रहने वाले गोपनीय सैनिक राजू मरकाम गोली चलने की आवाज सुनकर कमरे से बाहर निकला। उसने एसएलआर लेकर फूलो के कमरे से दिलीप सेठिया को बाहर निकलते देखा। दिलीप ने उसे फूलो की हत्या कर देने की बात कही और यह कहकर धमकाया कि किसी को बताने पर उसे जान से मार देगा। उसने कहा कि फूलो के आत्महत्या करने की बात सबको बताना।
मामले में पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त एसएलआर व खाली राउंड बरामद किया है। आरोपी के विरूद्घ आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
एक साथ कैसे रह रहे थे दोनों
ज्ञात हो कि पुलिस सामुदायिक भवन में सामूहिक रूप से डीआरजी में तैनात आरक्षक,सहायक आरक्षक व गोपनीय सैनिक रहतेे हैं। ऐसे में छह महीनों से आरोपी आरक्षक सेठिया मृतका फूलो के साथ एक कमरे में ही रह रहा था। इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं होना ताज्जुब की बात है। जनचर्चा है कि कि सामुदायिक भवन में आरोपी आरक्षक व महिला सहायक आरक्षक के लिविंग इन रिलेशनशिप में रहने को अधिकारियों द्वारा संज्ञान में नहीं लिया जाना आश्चर्य का विषय है।
आरोपी तक पहुंचने में 3 दिन लग गए
मामले में मृतका के पीठ पर लगी गोली के निशान व तमाम परिस्थितिजन्य साक्ष्य दिलीप सेठिया के पर हत्या का आरोप इंगित कर रहे थे लेकिन पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के निर्णय तक पहुंचने में तीन दिन लग गए। गौरतलब है कि सामुदायिक भवन में रहने वाले अन्य गोपनीय सैनिकों व चश्मदीद गवाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष सज्चाई उगलने में इतनी देरी क्यों की यह रहस्य का विषय है। हांलाकि पुलिस ने देरी का कारण सामुदायिक भवन में रहने वाले कर्मचारियों में सेठिया का दहशत होना बताया है।
परिजनों ने भी लगाया था आरोप
मामले में मृतका के परिजनों ने स्पष्ट आरोप लगाया था कि नवम्बर माह में जब वह अपने घर गई थी। उसने अपने भाई गगन मरकाम को बताया था कि दिलीप सेठिया उसका शारीरिक उत्पीडऩ करता है और वह दुबारा वापस नहीं लौटना चाहती है। इसके बाद दिलीप व अन्य जवानों द्वारा उसे झीरम से दबावपूर्वक वापस लाया गया था। आरोपी जवान पर विभागीय अधिकारियों की कृपा दृष्टि के चलतेे ही उसका दुस्साहस बढऩे की बात भी कही जा रही है।


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