तेन्दूपत्ता नीलामी की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
याचिकाकर्ता कि ओर से आज अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व विवेक तन्खा ने कोर्ट को बताया कि सरकार की नई तेंदूपत्ता नीति आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा तथा शासन को 4 सौ करोड़ रूपए का नुकसान होगा

बिलासपुर। शासन की नई तेंदूपत्ता नीति को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर आज हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस शरद गुप्ता की डिवीजन बेंच ने नीलामी में ऊंची दर वाली सरकारी बोली को मंजूर करने का आदेश देते हुए निम्न दर में बोली मंजूर करने के लिए शासन को जवाब के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।
याचिकाकर्ता कि ओर से आज अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व विवेक तन्खा ने कोर्ट को बताया कि सरकार की नई तेंदूपत्ता नीति आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा तथा शासन को 4 सौ करोड़ रूपए का नुकसान होगा। याचिकाकर्ता संतकुमार नेताम की याचिका पर आज हाईकोर्ट ने राज्य शासन तथा तेंदूपत्ता तोड़ने तथा बिक्री के मामले में सौ से अधिक नीलामी में भाग लेने वाले ठेकेदारों को नोटिस जारी किया गया है तथा शासन से तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है।
अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया कि शासन की नई तेंदूपत्ता नीति में काफी गड़बड़ी है। कोई भी नीलामी सरकारी बोली को गुप्त नहीं रखा जा सकता। सर्वाधिक बोली वाले को छोड़कर 16 वें क्रम वाले को तेंंदूपत्ता आबंटन कर दिया गया। 165 ठेकेदारों ने तेंदूपत्ता की नई नीति के तहत भाग लिया था, लेकिन ऊंची बोली वाले को ठेका नहीं दिया गया। इस नीति के लागू होने से सरकार को 4 सौ करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है। तेंदूपत्ता वनोपज में 80 प्रतिशत हिस्सा आदिवासियों को दिया जाता है और तेंदूपत्ता तोड़ने के बाद ही आदिवासियों को लाभ मिल पाता है।
लेकिन नई पॉलिसी में आदिवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। नियम के अनुसार 80 प्रतिशत राशि पर आदिवासियों का हक है। नई पॉलिसी में जो नियम किए गए हैं उसमें कोई भी बोली लगा सकता है, लेकिन सरकार ने पहले व दूसरे क्रम के बजाए 16, 17, 18 वे क्रम के बोली लगाने वाले ठेकेदार को तेंदूपत्ता का आबंटन कर दिया।


