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झारखंड सीजीएल परीक्षा के रिजल्ट पर हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखी, सरकार ने बहस के लिए मांगा वक्त

झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में आयोजित झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने बुधवार को इस परीक्षा में गड़बड़ियों की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से बहस के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 26 जून को निर्धारित की गई है

झारखंड सीजीएल परीक्षा के रिजल्ट पर हाईकोर्ट ने रोक बरकरार रखी, सरकार ने बहस के लिए मांगा वक्त
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रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2024 में आयोजित झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने बुधवार को इस परीक्षा में गड़बड़ियों की सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से बहस के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 26 जून को निर्धारित की गई है।

इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया था कि मामले में सीआईडी की जांच जारी है। परीक्षा के पेपर लीक का अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है। अनुसंधान की प्रक्रिया एक माह में पूरी कर ली जाने की उम्मीद है। राज्य सरकार की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि था कि परीक्षा का पेपर उपलब्ध कराने के नाम पर कई अभ्यर्थियों से पैसा वसूलने वाले आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है।

राज्य में करीब दो हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा 21-22 सितंबर, 2024 को राज्य भर के 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। परीक्षा में 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। जेएसएससी ने इस परीक्षा के आधार पर 5 दिसंबर, 2024 को 2145 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया था। इसी बीच परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राजेश कुमार एवं अन्य ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।

इसपर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर, 2024 को परिणाम प्रकाशित करने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने राज्य सरकार को पेपर लीक की शिकायत पर परीक्षा संचालन अधिनियम 2023 के तहत एफआईआर दर्ज करने और अनुसंधान कर इसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। इसके बाद झारखंड के अपराध अनुसंधान विभाग एफआईआर दर्ज कर जांच कर रहा है। बुधवार को जनहित याचिका पर अदालत में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश के अलावा जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजॉय पिपरवाल और प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने बहस की।


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