शहर की हरियाली को लगा ग्रहण अधिकारियों की जेब रही हरी
ग्रेटर नोएडा शहर की परिकल्पना करने वाले वास्तुविदों ने शहर को एक अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देते हुए कभी सोचा भी न होगा कि जिस शहर को वह इतना सुंदर बनाने की सोच रहे हैं

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा शहर की परिकल्पना करने वाले वास्तुविदों ने शहर को एक अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देते हुए कभी सोचा भी न होगा कि जिस शहर को वह इतना सुंदर बनाने की सोच रहे हैं उसे ग्रेटर नोएडा के अकर्मण्य अधिकारी कभी विनाश की कगार पर ला कर छोड़ेंगे।
प्रमुख सेक्टर अल्फा-1 के अशोक वाटिका पार्क की दुर्दशा दर्शाता इस बात का द्योतक है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी अपनी आंखें बंद किए हुए वातानुकूलित ऑफिस में वर्षों से सोये पड़े हैं। सम्पूर्ण पार्क मरुथल बन गया है। उड़ती हुई धूल, बड़े-बड़े गड्ढे कुत्तों व बंदरों का प्रवास बना यह पार्क अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान की याद दिलाता है। यह तो एक नमूना मात्र है। शहर के सभी पार्कों की कमोबेश यही दशा है। ग्रेटर नोएडा के निवासी खून के आंसू रो रहे हैं और उनका चीत्कार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के नक्कारखाने में एक तूती की आवाज बन कर रह गया है ।
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का सबसे मलाईदार विभाग हॉर्टिकल्चर आपके शहर में क्या कर रहा है? अगर आपको यह जानना है तो बस शहर की किसी एक सड़क या किसी एक सेक्टर का भ्रमण कर लीजिए। कागजों पर तो इस विभाग में पेड़ भी लगाए जा रहे होंगे, उनके रख-रखाव पर करोड़ों खर्च हो रहे होंगे, जंगली घास काटी जा रही होगी, गोल चक्करों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा होगा पर वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत से अरबों रुपए कमा चुका होगा अथॉरिटी का हॉर्टिकल्चर विभाग। अब पाप का घड़ा भर चुका है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस विभाग की सीबीआई से जांच करा कर इस घड़े को फोड़ दे।
अल्फा एक अशोक वाटिका पार्क मे पानी पम्प पर कोई भी ऑपरेटर नजर नहीं आते। पम्प के रुम पर ताला लगा हुआ है और जो ऑपरेटर यहां पर ड्यूटी करते है वो डबल डबल ड्यूटी करते है। वन विभाग व अथॉरिटी के अधिकारियों की अक्ल पर पत्थर और आंखों नी पर्दा पड़ा हुआ है।
अभी मैंने कुछ दिन पहले आप सभी के समक्ष बीटा-1 के वन विभाग के जिस पार्क की सच्चाई सामने रखी थी उसी पार्क को सरकारी विभागों की उदासीनता से तंग आकर यहां के निवासियों ने अपने हाथों में ले लिया है। सेक्टर निवासी अपने घरों से पानी लाकर इस पार्क के पेड़-पौधों को बचाने के प्रयास में जुट गए हैं।
जबकि देखा जाए कि शहर के पार्कों व हरियाली का रख-रखाव करने के लिए महाप्रबंधक केके सिंह, उप महाप्रबंधक आरके अरोडा व सीनियर मैनेजर आनंद सिंह को जिम्मेदारी दी गई। शायद ये अधिकारी पार्कों की दुर्दशा की तरफ ध्यान देते हैं, एक्टिव सिटीजन टीम ने इन अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई से जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री से की है।


