सरकार दिव्यांगों के प्रति काफी संवेदनशील रही : मोदी
नरेन्द्र मोदी ने युवा पीढी से दिव्यांगों की जरूरत के अनुरूप नये उपकरण के क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअपर शुरू करने का आहवान करते हुए आज कहा कि उनकी सरकार दिव्यांगों के प्रति काफी संवेदनशील रही है
राजकोट। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवा पीढी से दिव्यांगों की जरूरत के अनुरूप नये उपकरण के क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअपर शुरू करने का आहवान करते हुए आज कहा कि उनकी सरकार दिव्यांगों के प्रति काफी संवेदनशील रही है और वह अन्य कार्यक्रमों की तुलना में उनके कार्यक्रमों में भाग लेने को प्राथमिकता देते हैं।
मोदी ने आज यहां रेसकोर्स मैदान में 18500 दिव्यांगों को सहायता उपकरण वितरित करने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ओ पी कोहली, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत, मनसुख मांडविया, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल की मौजूदगी में कहा कि 1992 से लेकर करीब 30 साल में दिव्यांगों के लिए मात्र 55 सहायता उपकरण कार्यक्रम आयोजित किये गये थे जबकि उनकी सरकार के पिछले तीन साल के कार्यकाल में ऐसे 5500 कार्यक्रम हुए हैं।
विभागीय मंत्री गेहलोत दिव्यांगों के प्रति उनके लगाव को जानते हैं, इसलिए उन्हें ऐसे कार्यक्रमों में बुलाते हैं और वह इसे अन्य कार्यक्रमों की तुलना में हमेशा प्राथमिकता देते हैं।
वह जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो भी दिव्यांगों के लिए उत्तीर्णता का अंक घटाने समेत कई कदम उठाये थे। उन्होंने बताया कि इसी तर्ज पर सरकार अगले पांच वर्ष में यानी 2022 तक सभी के लिए घर मुहैया करायेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए दिव्यांगों के लिए सुगम्य भारत योजना शुरू की है। उनके लिए संकेत भाषा की एकरूपता के लिए कानून बनाया है।
वह नयी पीढी से आहवान करते हैं कि वे दिव्यांगों के लिए नवाचार और स्टार्ट अप करें और उनके लिए उपयोगी उपकरण बनाये जिसका एक बडा बाजार भी भारत में उपलब्ध है। इसमें सरकार भी हरसंभव सहायता देगी।
उन्होंने दिव्यांगों के प्रति समाज एवं देश की जिम्मेदारी होने की बात दोहरायी और उनके परिजनों से सरकार की एक रूपये प्रति माह तथा प्रति दिन वाली बीमा योजना का लाभ लेने की अपील भी की।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों की सरकार है और इसकी उपलब्धियों से पूरी दुनिया चकित हो गयी है। इससे पहले उन्होंने राजकोट में उनके रूप में किसी प्रधानमंत्री के पूर्व में मोरारजी देसाई के दौरे के 40 वर्ष बाद आने की बात भी कही और कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत करने वाले राजकोट के वह आभारी हैं।
उन्होंने कहा कि अगर राजकोट ने मुझे गांधीनगर नहीं भेजा होता तो आज मै दिल्ली में नहीं होता। कार्यक्रम के दौरान दिव्यांगों को उपकरण सहायता के मामले में कई विश्व कीर्तिमान भी बने।


