सरकार की नीति चमड़ा उद्याेग पर स्पष्ट नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस ने चमड़ा उद्योग के लिए सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि वह एक तरफ इस उद्योग को बढ़ावा देने की बात करती है तो दूसरी ओर प्रदूषण के नाम पर चर्म शोधन इकाइयों को बंद करती जा रही है
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने चमड़ा उद्योग के लिए सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि वह एक तरफ इस उद्योग को बढ़ावा देने की बात करती है तो दूसरी ओर प्रदूषण के नाम पर चर्म शोधन इकाइयों को बंद करती जा रही है।
कांग्रेस की रंजीत रंजन ने लोकसभा में फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान विधेयक, 2017 पर चर्चा में कहा कि चमड़ा उद्योग के संबंध में सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का बनाना चाहती है लेकिन चमड़े से बनी वस्तुओं को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है। इससे उसकी मंशा पर संदेह हाेता है।
उन्होंने कहा कि गंगा के प्रदूषण के नाम पर चमड़ा इकाइयों को बंद किया जा रहा है और बूचड़खानों को हटाया जा रहा है। रंजन ने कहा कि सरकार का यह कार्य परस्पर विरोधी है। इससे ऐसा लगता है कि सरकार चमड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल के लिए विदेशी कम्पनियों के साथ साठगांठ कर रही है।
उन्होंने कहा की नोटबंदी के बाद कई छोटे उद्योग बंद हो गये और चमड़े के जूते बनाने वाले लोगों का काम ठप पड़ गया है। रंजन ने कहा कि चमड़ा उद्याेग के लिए सरकार के पास कोई ठोस नीति दिखाई नहीं दे रही है।
देश में विदेशी फुटवियर का दबदबा ज्यादा हो रहा है क्योंकि वहां की कम्पनियां फुटवियर को डिजाइन करने से पहले इस बात का खयाल रखती हैं कि पहनने वाले के लिए वह असुविधाजनक न हो। उन्होंने कहा कि सरकार को फुटवियर कम्पनियों को पर्यावरण के अनुकूल जूते-चप्पल बनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


